
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) खतरनाक उपकरण है चाहे वह चीनी हो या अमेरिकी। अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें भारत में सभी रूपों में चीनी एआई चैटबॉक्स डीपसीक को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव रोडेला की पीठ ने कहा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह किसके हाथ में हैं। एआई एक खतरनाक उपकरण है। ऐसा नहीं है कि सरकार इन चीजों से अंजान है। वे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। केंद्र के वकील ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है उन्होने अदालत से मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय देने का आग्रह किया।
अदालत ने इस मामले को 20 फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया ताकि केंद्र के वकील को पूर्ण निर्देश मिल सके। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से इस मामले में अधिकारियों को नोटिस जारी करने का आग्रह किया और कहा कि यह निजता के अधिकार के सीधे उल्लंघन से संबन्धित है।
यह याचिका भावना शर्मा ने दाखिल की है। उनके वकील ने पीठ को बताया कि याचिका दीपसीक नामक प्लेटफॉर्म के खिलाफ दाखिल की गई है, जो दो चीनी कंपनियों का संयुक्त उद्यम है। उन्होंने कहा कि याचिका में प्लेटफॉर्म की सुरक्षा के साथ उस पर निजता के उल्लंघन को लेकर मुद्दा उठाया गया है। पीठ ने उनसे पूछा कि क्या भारत में ऐसी वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए कोई तंत्र है। उसपर वकील ने जवाब दिया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 A ऐसी कार्रवाई की अनुमति देती है।
पीठ ने फिर टिप्पणी की कि आर्टििफशियल इंटेलिजेंस किसी के भी हाथ में एक खतरनाक उपकरण है, चाहे वह चीनी हो या अमेरिकी। एआई किसी के भी हाथ में एक खतरनाक उपकरण है, चाहे वह चीनी हो या अमेरिकी, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।