दुनियाभर के करीब 60 फीसदी लोग इस बात से परेशान हैं कि उन्हें स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है। इससे उनकी सेहत पर असर पड़ रहा है और उन्हें बीमारियां घेर रही हैं। इस संबंध में कराये गए एक सर्वेक्षण में शामिल लोगों से यह जानने कि कोशिश की गई कि वे अपने पेयजल को कितना स्वच्छ और सुरक्षित मानते हैं।
नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और चैपल हिल में यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ कैरोलीना के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अध्ययन में कहा गया है कि जब लोग अपने नल के पानी पर भरोसा नहीं करते तब वे बोतल बंद पानी खरीदते हैं। बोतल बंद पानी बहुत महंगा होने के साथ साथ पर्यावरण के लिए हानिकारक भी होता है। क्योंकि इसकी बोतलें प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने का काम करती हैं। इस अध्ययन के नतीजे नेचर कम्यूनिकेशंस नमक पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
बच्चों बुजुर्गों पर ज्यादा असर
सर्वेक्षण में शामिल करीब एक लाख से अधिक लोगों ने आशंका जताई कि उनको स्थानीय संसाधनों से जो जल उपलब्ध कराया जा रहा है वह स्वच्छ और सुरक्षित नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल 60 फीसदी से अधिक लोगों ने बताया कि उनकी सेहत पेयजल की वजह से खराब हुई है। इस संबंध में उन्होंने मेडिकल दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। जिन लोगों को पेयजल की वजह से सेहत संबंधी परेशानी हुई उनमें 72 फीसदी बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे। दूषित पेयजल की वजह से लगभग 68 फीसदी महिलाओं की सेहत पर विपरीत असर पड़ा।