
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में बजट पर चर्चा में हिस्सा लिया। भारी शोर और हंगामे के बीच कृषि मंत्री ने संसद सदस्यों का जवाब दिया। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अधिकतम एमएसपी पर फसलों की खरीद हुई है। इस साल भी तुअर, मसूर और उड़द जितनी किसान उपजाएगा, सरकार उसे खरीदेगी। सरकार ने उसके लिए समृद्धि पोर्टल बनाया है। किसान इस समृद्धि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराएं। सरकार उसकी पूरी उपज खरीदेगी।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आंकड़े गवाह हैं कि जब इनकी (कांग्रेस) सरकार थी तो एमएसपी पर उपज की कितनी खरीद होती थी और जब हमारी सरकार है तो कितनी खरीद हो रही है। ये सरकार किसानों के हित की सरकार है और किसानों के हित में लगातार फैसला हो रहा है। संसद में कृषि मंत्री ने कहा, दलहन की खरीद 2004-05 से 2014-15 तक केवल 6 लाख मीट्रिक टन थी जो अब बढ़कर 1 करोड़ 67 लाख टन हो गई है। तिलहन की खरीद कांग्रेस सरकार में केवल 50 लाख टन थी जो अब बढ़कर 87 लाख मीट्रिक टन हो गई है।
एमएसपी पर क्या बोले कृषि मंत्री
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पहले की सरकार में कपास की खरीद केवल 36 हजार गांठ की थी जिसे हमारी सरकार ने बढ़ाकर 1 लाख 31 हजार गांठ कर दी है। संस्थागत ऋण उस सरकार में 7 लाख 31 लाख करोड़ रुपये ही मिलता था जिसे मौजूदा सरकार ने बढ़ाकर 25 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। पूर्व सरकार में धान के न्यूनमत समर्थन मूल्य पर खरीद का लाभ केवल 78 लाख किसानों को मिलता था जबकि मौजूदा सरकार में 1 करोड़ 3 लाख 82 हजार किसान हो गए हैं। गेहूं की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से लाभान्वित होने वाले किसान केवल 20 लाख थे जो बढ़कर 22 लाख 69 हजार हो गए।
दलहन पर क्या बोले कृषि मंत्री
अभी हाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस में चौहान ने कहा बताया किसानों के पंजीकरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के माध्यम से ई-समृद्धि पोर्टल शुरू किया गया है। सरकार पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से एमएसपी पर इन दालों की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक किसानों को इस पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वे सुनिश्चित खरीद की सुविधा का लाभ उठा सकें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश इन तीनों फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है और 2027 तक आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य है। चौहान ने 2015-16 से दालों के उत्पादन में 50 प्रतिशत की वृद्धि करने के लिए राज्यों के प्रयासों की सराहना की, लेकिन प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने और किसानों को दालों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि देश ने मूंग और चना में आत्मनिर्भरता हासिल की है और उल्लेख किया कि देश ने पिछले 10 वर्षों के दौरान आयात पर निर्भरता 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दी है। चौहान ने राज्यों से केंद्र के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया ताकि भारत न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बने बल्कि दुनिया की खाद्य टोकरी भी बने।