
भारत ने दर्द निवारक दवाओं टेपेंटाडोल और कैरिसोप्रोडोल के उत्पादन और निर्यात पर रोक लगा दी है। यह कदम इन दवाओं के पश्चिम अफ्रीकी देशों में दुरुपयोग की खबरों के चलते उठाया गया है। भारत से इन दोनों दवाओं का पश्चिम अफ्रीकी देशों में निर्यात किया जाता है।
भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रक प्राधिकरणों से निर्यात संबंधी सभी अनापत्ति प्रमाणपत्र और दोनों दवाओं के सभी संयोजनों के उत्पादन की अनुमति को रद्द करने को कहा है। इन दवाओं का उपयोग मध्यम से गंभीर दर्द के उपचार के लिए किया जाता है। ओपीओइड वे दवाएं होती है जिनको बनाने में अफीम का इस्तेमाल किया जाता है। ये नशीली होती हैं और इनकी लत लग सकती है। कैरिसोप्रोडाल मांसपेशियों को आराम देने वाली औषधि है जो दर्द से राहत दिलाने के लिए मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के केन्द्रों पर काम करती है।
डीसीजीआई ने क्या कहा
डीसीजीआई द्वारा राज्यों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि यह बीबीसी के एक हालिया लेख के संबंध में है, जिसमें लिखा गया है कि ‘टेपेंटाडोल’ और ‘कैरीसोप्रोडोल’ के संयोजन वाली दवा के दुरुपयोग की काफी संभावना है और इस संयोजन को भारत से पश्चिम अफ्रीकी देशों में निर्यात किया जा रहा है।लोगों पर इसके हानिकारक प्रभाव की संभावना को देखते हुए डीसीजीआई ने ‘टेपेंटाडोल’ और ‘कैरीसोप्रोडोल’ के सभी संयोजनों के लिए जारी सभी निर्यात एनओसी और विनिर्माण की अनुमति को तत्काल वापस लेने का अनुरोध किया है।
महाराष्ट्र सरकार के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने बयान जारी कर बताया है कि 21 फ़रवरी 2025 को बीबीसी न्यूज़ की एक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि ट्रामाडोल, टैपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल जैसे ओपिओइड भारत में बनाए जा रहे हैं और भारत से नाइजीरिया और घाना जैसे अफ्रीकी देशों को निर्यात किए जा रहे हैं, जहाँ इससे नशा किया जा रहा है।
“इस रिपोर्ट में ख़ासतौर पर महाराष्ट्र में मौजूद दवा कंपनी एवियो पर किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन का ज़िक्र किया गया है, जिसमें बताया गया है कि कंपनी अफ्रीकी देशों को टैपेंटाडोल निर्यात करने के काम में शामिल थी।”