ब्रिटिश काल से देश में लागू तीन आपराधिक कानून एक जुलाई से इतिहास बन जाएंगे। नए मुकदमे और प्रक्रिया भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू होंगे। इसके बावजूद इतिहास बन चुके कानून कुछ हफ्तों या महीनों तक उन लोगों का पीछा नहीं छोड़ेंगे, जिनके खिलाफ अपराध एक जुलाई से पहले यानी 30 जून की रात 12 बजे से कुछ पल पहले हुआ होगा। ऐसे में मुकदमा और प्रक्रिया भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) के तहत लागू किए जाएंगे।
नए आपराधिक कानून लागू होने के बावजूद पुराने में मामला दर्ज होने के पीछे की वजह यह है कि आपराधिक कानून पूर्वव्यापी लागू नहीं होते। यह पुलिस, प्रशासन और अदालत के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है, जब देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हों।
अगर निर्धारित एक जुलाई की तिथि से पहले कोई भी अपराध हुआ है तो कानून लागू करने वाली सभी एजेंसियों को यह ख्याल रखना होगा कि मामला और प्रक्रिया पुराने कानूनों के तहत चले। ऐसा नहीं होने की स्थिति में पीड़ित को अदालती प्रक्रिया में नुकसान होगा और प्राधिकार की गलती का खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।
पिछले साल संसद में पेश किए गए थे ये कानून
ये तीनों कानून पिछले साल 2023 में संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किए गए थे। जो कि देश में अब लागू किए जाएंगे। नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), 163 साल पुराने IPC की जगह लेगा। इसके अलावा आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे खतरनाक अपराधों के मामले में सजा को और सख्त बनाया जाएगा।
मॉब लिंचिंग को आतंकवादी कृत्य माना जाएगा
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों को आतंकवाद के अपराध में परिभाषित किया गया है। मॉब लिंचिंग मामले को आतंक के रूप में गिना जाएगा। इस मामले की सजा आतंकवाद के अपराध के रूप में की जाएगी।
लेकिन घटना कानून लागू होने की तिथि से पहले की होगी और अगर गलती से भी नए कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया तो अदालत उसे रद्द कर देगी। पूरी प्रक्रिया फिर से निभानी होगी और पीड़ित को न्याय मिलने में बेवजह की देरी का सामना करना पड़ेगा। जबकि तमाम लोग इसी भ्रम में होंगे कि नए कानून में इसका प्रावधान है तो मुकदमा पुरानी घटना पर भी दर्ज हो जाएगा, तो यह समझ लीजिये कि ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। अव्वल तो पुलिस मुकदमा पुराने कानून में दर्ज करेगी और गलती से नए कानून में दर्ज कर ली तो अदालत से लेकर सर्वोच्च अदालत तक में सुनवाई के दौरान जिसने भी गौर कर लिया कि घटना पुरानी है तो एफआईआर रद्द कर दी जाएगी। नए सिरे से एफआईआर पुराने कानून में दर्ज होगी।
1 जूलाई से होंगे ये बदलाव
1. FIR से लेकर कोर्ट के निर्णय तक की सुनवाई पूरी तरह से ऑनलाइन होगी।
2.ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के तीन दिन के अंदर करनी होगी FIR दर्ज, वरना होगी कड़ी कार्रवाई।
3. सात साल से ज्यादा सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य की जाएगी।
4. यौन उत्पीड़न के मामले में 7 दिनों के अंदर जमा करनी होगी रिपोर्ट।
5. कोर्ट में पहली सुनवाई से पहले 60 दिनों के अंदर आरोप तय किया जाने का प्रावधान।
6. आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के अंदर करना होगा फैसला।
7. भगोड़े अपराधियों को लेकर 90 दिनों के अंदर करना होगा केस दायर करने का प्रावधान।
8. आतंकवाद, मॉब लींचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और सख्त बनाया गया।
9. नए कानून में अपराधी को दस साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान होगा, जो बिना किसी इरादे के शादी का वादा करके धोखे से यौन संबंध बनाते हैं।