जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि राज्य में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी और बिजली जैसी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
फारुक अब्दुल्ला ने कहा-
“इन शरणार्थियों को भारत सरकार यहां लाई है। हम उन्हें यहां नहीं लाए। सरकार ने उन्हें यहां बसाया है और जब तक वे यहां हैं, ये हमारी ड्यूटी है कि उन्हें पानी और बिजली मुहैया कराएं।”
दरअसल, सोमवार को भाजपा ने जम्मू में रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थियों के बसाए जाने को राजनीतिक षड्यंत्र बताया था। भाजपा ने कहा था कि जो लोग ऐसा होने दे रहे हैं, उनकी पहचान करने के लिए सीबीआई जांच होनी चाहिए।
नेशनल कॉन्फ्रेंस पॉर्टी की राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा ने कहा था-
“राज्य में रोंहिग्या और बांग्लादेशी शरणार्थियों को पानी और बिजली का कनेक्शन इसलिए दिया जा रहा है, क्योंकि वे एक विशेष समुदाय से आते हैं और राज्य सरकार इनकी रक्षा करना चाहती है।”
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में विशेषकर जम्मू प्रांत में रोहिंग्या शरणार्थियों की मौजूदगी एक बड़ा मुद्दा है। विभिन्न स्थानीय संगठन रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की मांग कर रहे हैं। इनकी बस्तियों में बिजली-पानी की आपूर्ति को काटा गया था, लेकिन बाद में बहाल कर दिया गया। इससे यह मामला फिर से तूल पकड़ रहा है।
भाजपा बोली- रोहिंग्या शरणार्थियों के बसने-बसाने के मामले की CBI जांच हो
जम्मू-कश्मीर बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता एडवोकेट सुनील सेठी ने 9 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भाजपा इस मामले में उपराज्यपाल से CBI जांच शुरू करने और दर्ज कराने का आग्रह करेगी, ताकि इस साजिश की पूरी जांच हो सके। यह पता लगाना जरूरी है कि जम्मू में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को कौन लाया और किसने बसाया। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें सजा दी जानी चाहिए।
सेठी ने कहा कि बीजेपी लगातार सवाल उठा रही है कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध रूप से भारतीय सीमा में कैसे घुसे, हजारों किलोमीटर का सफर करके और आधा दर्जन राज्यों को पार कर जम्मू में कैसे बसे! सेठी ने दावा किया कि यह पाकिस्तान से लगे इंटरनेशनल बॉर्डर के पास जम्मू में इन शरणार्थियों को बसाने की साजिश है। देश को यह जानना चाहिए कि कौन सी ताकतें राष्ट्रीय हितों के खिलाफ काम कर रही हैं।
सेठी ने कहा कि भारत के अन्य हिस्सों में रहने वाले भारतीय जम्मू-कश्मीर में बस नहीं सकते, लेकिन इन अवैध प्रवासियों को सिर्फ धर्म के आधार पर वहां बसने दिया गया है। यह लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब बसे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इन्हें राजनीतिक साजिश के तहत वोट बैंक बनाने के लिए बसाया गया।
ये जांच होनी चाहिए कि किन लोगों ने इन शरणार्थियों को सरकारी जमीनों पर बसने में मदद की, उन्हें पानी और बिजली के कनेक्शन दिए और आधार कार्ड हासिल करने में मदद की। अब तो यह भी सामने आ चुका है कि इन लोगों ने स्थानीय चुनावों में भी वोट डाले हैं।
फारुक अब्दुल्ला बोले- राज्य में डबल इंजन सरकार नहीं चलेगी
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। यहां सिर्फ एक पावर सेंटर रहेगा। डबल इंजन सरकार यहां काम नहीं करेगी। यह भारत सरकार का वादा है और सुप्रीम कोर्ट के सामने भी यह शपथ ली गई है। जैसे चुनाव में किए वादे पूरे हुए हैं, वैसे ही सुप्रीम कोर्ट के सामने किया कमिटमेंट भी पूरा किया जाएगा और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होगा।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को मसले को देखना चाहिए। यह RSS द्वारा चलाई जा रही सरकार है। हमें इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।
सीएम उमर अब्दुल्ला बोले- उन्हें भूखा और ठंड से मरने के लिए नहीं छोड़ सकते
जम्मू-कश्मीर में सोमवार को चैंबर आफ कामर्स इंडस्ट्रीज के एक समारोह में रोहिंग्या शरणार्थियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार को इस विषय में अंतिम निर्णय लेना है, अगर रोहिंग्या शरणार्थियो को वापिस भेज सकती है तो भेजे, लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो हम उन्हें भूखा और ठंड में मरने के लिए नहीं छोड़ सकते।