किसानों को ऐसे मिलेगी पहली किश्त, आधार नहीं होगा जरूरी
किसानों को आर्थिक मदद के तौर पर बड़ी सौगात देने जा रही मोदी सरकार फरवरी के अंत से किसानों के खातों में राशि भेजना शुरू कर देगी। प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत लाभार्थियों को आसानी के साथ पहली किस्त मिले, इसके लिए किसानों को आधार देना जरूरी नहीं होगा। अगर आधार नहीं है तब भी पंजीकरण के समय उनके पास वोटर आईडी, लाइसेंस और नरेगा जॉब कार्ड होगा तब भी लाभार्थियों पहचान कर ली जाएगी।
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बता दें कि बजट में घोषित योजना का लाभ किसानों को आसानी से मिले इसके लिए केंद्र ने राज्य सरकारों से विभिन्न आधार पर डेटा तैयार करने के लिए कहा गया है। योजना का लाभ पाने वाले जिलावार लाभार्थियों की सूची पीएम-किसान पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। किसानों का चयन होने के बाद राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जा रही है। इस परियोजना में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न होने के इसके लिए परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) का गठन भी किया गया है। इस योजना के तहत सारी राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी। सरकार की इस योजना का लाभ देश के 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसान परिवारों को मिलेगा। सरकार पहली किस्त 1 दिसंबर, 2018 से 31 मार्च, 2019 के लिए जारी होगी।
आगे से अनिवार्य होगा आधार
केंद्र सरकार की तरफ से दी जाने वाली राशि में आधार की छूट पहली ही बार दी जाएगी। इसके बाद किसानों के लिए आधार कार्ड जरूरी हो जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि दिसंबर से मार्च के बीच में दी जाने वाली पहली किस्त में लाभार्थियों को आधार पंजीकरण के लिए छूट दी जाएगी। इसके बाद लाभार्थियों को किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जाएगी। केंद्र सरकार ने कहा कि अगली किस्त का लाभ तभी मिलेगा जब व्यक्ति के पास आधार कार्ड होगा। केंद्र सरकार की गाइड लाइन में स्प्ष्ट किया गया है कि राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि लाभार्थियों को दोहरापन का लाभ न मिलने पाए। यही नहीं कोई भी गलत सूचना या अधूरी जानकारी भी उपलब्ध न कराई जाए।
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एक फरवरी तक होना था रिकॉर्ड में नाम दर्ज
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से राज्यों के मुख्य सचिवों को जारी किए गए पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि मौजूदा भूमि रिकॉर्ड के आधार पर राज्यों द्वारा लाभार्थियों को चिन्हित किया जाए। इसका लाभ पाने के लिए किसान का नाम बजट में घोषणा के दिन तक यानी एक फरवरी तक विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज होना चाहिए। केंद्र सरकार ने उत्तर पूर्व प्रदेशों को छूट दी है। इस योजना के लागू करने के लिए अलग विकल्प रहेगा, क्योंकि वहां भूमि पर मालिकाना हक सामुदायिक आधार पर है। पत्र के मुताबिक राज्यों को छोटे एवं सीमांत किसानों के भूमि रिकॉर्ड के आधार पर नाम, लिंग, जाति, आधार नंबर (नहीं होने की सूरत में आधार पंजीकरण), बैंक खाता और मोबाइल नंबर का डेटा एकत्र करना है।
एससी-एसटी वर्ग की पहचान का भी निर्देश
राज्य सरकार के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में एससी-एसटी वर्ग के लोगों की खास स्तर पर पहचान करने के लिए कहा गया है। यही नहीं राज्यों से इस जाति वर्ग के लोगों की जानकारी मुहैया कराने के लिए भी कहा गया है। इसके संबंध में आने वाली सभी शिकायतों का निपटारा जिला स्तर पर समिति बनाने के भी निर्देश दिए गए है। यह टीम लाभार्थियों की आने वाली हर प्रकार की शिकायत का निपटारा करेगी। इस मामले में मुख्य कार्यकारी अधिकारी हर मामले की पड़ताल करेगा और किसानों को योजना के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा। इसके लिए राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी और विभग बनाया जाएगा और लाभार्थियों का सत्यापन ग्राम पंचायत द्वारा कराया जाएगा।
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