भारत आज एक बार फिर इतिहास रचने जा रहा है। हम बात कर रहे हैं भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान (इसरो) की। पिछले साल इसरो ने चांद पर चंद्रयान 3 उतार कर एक इतिहास रच दिया था। इसरो ने पूरी दुनिया को बता दिया था कि भारत भी किसी से कम नहीं। आज एक बार फिर इसरो दुनिया के सामने इतिहास रचने जा रहा है। आंध्र प्रदेश के श्री हरीकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से आज प्रथ्वी अवलोकन उपग्रह (EOS-8) को लॉन्च किया जाएगा। इस उपग्रह को रॉकेट एसएसएलवी D3 की मदद से अन्तरिक्ष में भेजा जाएगा। यह उपग्रह सेटेलाईट आपदाओं के बारें में सचेत करेगा। इसरो का यह कदम पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है।
क्या है EOS-08 की खासियत
अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट (EOS-08) पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही आपदा की भी जानकारी देगा। इसमें तीन अत्याधुनिक पेलोड हैं। एक इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), दूसरा ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर) और तीसरा एसआईसी यूवी डोसिमीटर है। इसका वजन लगभग 175.5 किलोग्राम है।
इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड को मिड वेव आईआर और लॉन्ग वेव आईआर बैंड में दिन और रात दोनों तस्वीरों को कैप्चर करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी वजह से यह आपदा से लेकर आग और ज्वालामुखी तक का जानकारी जुटाने में सक्षम बनाता है। वहीं ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड महासागर की सतह की हवा, मिट्टी की नमी की जांच और बाढ़ का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को भी प्रदर्शित करता है।