
आज सोमवार सुबह 5:36 बजे, दिल्ली-एनसीआर में 4.0 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया, जिसका केंद्र नई दिल्ली में जमीन से 5 किलोमीटर गहराई पर था। भूकंप के तेज झटकों के कारण लोग दहशत में घरों से बाहर निकल आए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के भूकंप का केंद्र 28.59° उत्तरी अक्षांश और 77.16° पूर्वी देशांतर पर स्थित था। दिल्ली में भूकंप का केंद्र कथित तौर पर धौला कुआं में दुर्गाबाई देशमुख कॉलेज ऑफ स्पेशल एजुकेशन के पास लेक पार्क क्षेत्र में था।
बिहार के सीवान में भूकंप
बिहार के सीवान जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, सीवान में सुबह 8:02 बजे आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.0 दर्ज की गई और यह 10 किलोमीटर की गहराई पर हुआ।
प्रधानमंत्री ने की X पर अपील
Tremors were felt in Delhi and nearby areas. Urging everyone to stay calm and follow safety precautions, staying alert for possible aftershocks. Authorities are keeping a close watch on the situation.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 17, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “दिल्ली और आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। सभी से शांत रहने और सुरक्षा सावधानियों का पालन करने की अपील की जाती है। संभावित झटकों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। अधिकारी स्थिति पर नजर रख रहे हैं।”
दिल्ली में भूकंप के कारण और भूकंप जोन की जानकारी
दिल्ली-एनसीआर भूकंपीय जोन-4 में स्थित है, जो इसे भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र बनाता है। यहां मध्यम से लेकर उच्च तीव्रता के भूकंप आने की संभावना बनी रहती है। पृथ्वी की सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है, जो लगातार अपने स्थान पर घूमती रहती हैं। इन प्लेटों के टकराव या घर्षण के कारण ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप आते हैं। दिल्ली-एनसीआर में भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है क्योंकि यह क्षेत्र भूकंपीय जोन-4 में आता है, जो कि एक उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है। भूकंप आने के मुख्य कारणों में टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधि शामिल है। पृथ्वी की सतह कई प्लेटों से बनी होती है, जो लगातार अपनी जगह बदलती रहती हैं। जब दो प्लेटें आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे के ऊपर खिसकती हैं, तो ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप आता है। भारत को भूकंपीय दृष्टि से चार जोन (Z1-Z4) में बांटा गया है, जिसमें जोन-4 उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आता है।
दिल्ली में भूकंप का कारण क्यों बनती हैं टेक्टोनिक प्लेटें?
- हिमालयीय टेक्टोनिक मूवमेंट – दिल्ली के पास स्थित हिमालय पर्वत श्रृंखला भी इस क्षेत्र में भूकंप का खतरा बढ़ाती है। यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच मौजूद है, जो लगातार टकरा रही हैं।
- दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन – दिल्ली के नीचे एक प्रमुख भूकंपीय फॉल्ट लाइन (Delhi-Moradabad Fault Line) स्थित है, जिससे इस क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना अधिक होती है।
- सोहना फॉल्ट और महेंद्रगढ़-दीराज फॉल्ट – ये दो अन्य प्रमुख फॉल्ट लाइनें हैं, जो दिल्ली के आसपास मौजूद हैं और समय-समय पर भूकंप की स्थिति पैदा कर सकती हैं।
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप से प्रभावित होने वाले क्षेत्र
- नई दिल्ली
- नोएडा
- गाजियाबाद
- गुरुग्राम
- फरीदाबाद
दिल्ली में बड़े भूकंप का इतिहास
इतिहास में, दिल्ली-एनसीआर में कई भूकंप आए हैं। सबसे विनाशकारी भूकंप 15 जुलाई 1720 को आया था, जिसकी तीव्रता 6.5 से 7.0 के बीच मापी गई थी। इस भूकंप ने पुरानी दिल्ली और नई दिल्ली क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई थी, और इसके बाद पांच महीनों तक हल्के झटके महसूस किए गए थे।
- 15 जुलाई 1720 – 6.5-7.0 तीव्रता का भूकंप, जिसने पुरानी दिल्ली में काफी तबाही मचाई।
- 10 अक्टूबर 1956 – 6.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे दिल्ली और आसपास के इलाकों में हल्का नुकसान हुआ था।
- 5 मार्च 2012 – 5.0 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था।
भूकंप से बचाव के लिए क्या करें?
- मजबूत बिल्डिंग स्ट्रक्चर का निर्माण करें।
- भूकंप के दौरान खुले स्थान में जाने की कोशिश करें।
- दीवारों और कांच की खिड़कियों से दूर रहें।
- सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करें।
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप का खतरा बना रहता है, इसलिए सतर्कता और सही जानकारी से हम इससे होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।