दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस तरह दिल्ली चुनाव से पहले अरविंद केजरीवालको बड़ा झटका लगा है। वह कथित दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 से जुड़ी अनियमितताओं के एक मामले में आरोपी हैं। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने मामले में आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा। अब इस मामले की सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
केजरीवाल की तरफ से दी गई दलील
केजरीवाल की दलील है कि निचली अदालत ने बिना किसी पूर्व मंजूरी के अपराध का संज्ञान लेने में गलती की है। ऐसे मामलों में CRPC की धारा 197 (1) के तहत राज्यपाल की पूर्व मंजूरी लेना आवश्यक होता है, क्योंकि उस वक्त वह (केजरीवाल) पद पर थे।
क्या है CRPC की धारा 197(1)
CRPC की धारा 197(1) के मुताबिक, किसी सरकारी कर्मचारी, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट पर कथित अपराध के लिए मुकदमा चलाने के लिए सरकार से पहले अनुमति लेना जरूरी है। यह मंजूरी केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रपति और राज्य स्तर पर राज्यपाल देते हैं।
केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मिली अनुमति: तुषारमेहता
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलानेके लिए मंजूरी मिल गई है और वहएक हलफनामा दाखिल करेंगे। पूर्व सीएम ने सुनवाई की शीघ्र तारीख की मांग की, जब अदालत ने शुरू में सुनवाई अगले साल के लिए तय की और उनके वकील ने तत्कालता के कारण दिन के दौरान रोक लगाने की उनकी याचिका पर आदेश देने पर जोर दिया। मेहता ने इस तरह के दृष्टिकोण को अनुचित बताते हुए स्थगन आवेदन पर जवाब दाखिल करने की मांग की।
हाईकोर्ट ने एक अन्य याचिका पर ईडी से मांगा जवाब
12 नवंबर को हाईकोर्ट ने केजरीवाल द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर ईडी से जवाब मांगा, जिन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एजेंसी की शिकायत पर उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
एलजी वीके सक्सेना ने दी केस दर्ज करने की अनुमति
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई शराब नीति लागू की और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत तक इसे खत्म कर दिया था। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा उत्पाद शुल्क नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच की सिफारिश के बाद दर्ज किए गए सीबीआई मामले के बाद आया है।
कुछ बिंदुओं में समझते हैं दिल्ली का कथित शराब घोटाला
- दिल्ली में 2003 से ही शराब बिक्री के लिए वेंडर्स को L1 और L10 लाइसेंस दिया जाता था। L1 दुकानें DDA के अप्रूव्ड मार्केट, लोकल शॉपिंग सेंटर, डिस्ट्रिक्ट सेंटर और कम्युनिटी सेंटर में चला करती थीं। L10 वाइन शॉप के लाइसेंस शॉपिंग मॉल के लिए थे। हर साल वेंडर लाइसेंस रिन्यू के लिए फीस भरता था।
- 22 मार्च 2021 को दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकारी खजाना बढ़ेगा। तब से दिल्ली में 60% दुकानें सरकारी और 40% प्राइवेट थीं।
- 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति 2021-22 लागू कर दी गई। इससे शराब कारोबार से सरकार बाहर हो गई और ये बिजनेस निजी हाथों में चला गया। दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं।
- 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नई शराब नीति में घोटाला होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सिसोदिया ने शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। उन्होंने इससे जुड़ी एक रिपोर्ट एलजी वीके सक्सेना को सौंपी। एलजी ने भी कहा है कि उनकी और कैबिनेट की मंजूरी के बिना ही शराब नीति में बदलाव कर दिए। एलजी सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर CBI जांच की मांग की।
- 17 अगस्त 2022 को जांच एजेंसी ने केस दर्ज किया। इसमें मनीष सिसोदिया, तीन रिटायर्ड सरकारी अफसर, नौ बिजनेसमैन और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया। सभी पर भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया।
- विवाद बढ़ता देख 28 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को रद्द कर दिया। फिर से पुरानी नीति लागू करने का फैसला लिया। 22 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ED)ने CBI से मामले की जानकारी लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया।
- 26 फरवरी 2023 को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया। 4 अक्टूबर 2023 को संजय सिंह को गिरफ्तार किया गया।
शराब नीति केस में 156 दिन जेल में बिता चुके केजरीवाल
केजरीवाल कोED ने 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था। 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया। 10 मई को 21 दिन के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए रिहा किया गया। ये रिहाई 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी। 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया। 13 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई के वक्त उन्हें जेल गए कुल 177 दिन हो गए थे। इनमें से वे 21 दिन अंतरिम जमानत पर रहे। यानी केजरीवाल ने अब तक कुल 156 दिन जेल में बिताए हैं।