रक्षामंत्री ने राफेल से भरी सुपरसोनिक उड़ान, इस अंदाज में की लड़ाकू विमान की पूजा
भारत को अपना पहला बहुप्रतीक्षित व चर्चित विमान राफेल फ्रांस से मिल चुका है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने खुद फ्रांस से यह लड़ाकू विमान लिया। दशहरा के मौके पर हुए शस्त्र पूजन के दौरान रक्षामंत्री ने राफेल पर ॐ बनाकर इसे वायुसेना को सौंप दिया। रक्षामंत्री ने इस विमान में करीब 25 मिनट सुपरसोनिक रफ्तार से यात्रा भी की। आपको बता दें कि राफेल विमान भारत में राजनीतिक कारणों से चर्चा में रहा है। विपक्षी कांग्रेस इसको लेकर सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही है। इस मौके पर रक्षामंत्री ने कहा कि फरवरी 2021 तक हम 18 राफेल विमानों की डिलिवरी प्राप्त करेंगे और अप्रैल-मई 2022 तक हमें सभी 36 विमान मिल जाएंगे।
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वायरल हो रही तस्वीर
रक्षामंत्री ने राफेल की पूजा अर्चना हिन्दू रीति रिवाज के साथ की। उन्होंने राफेल पर ॐ का चिह्न बनाया। साथ ही उसके ऊपर नारियल रखा व टायर के नीचे नींबू भी रखा। राजनाथ ने इसकी तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर की। जिसके बाद से ही यह तस्वीरें वायरल होने लगी हैं। तस्वीरें शेयर करते हुए राजनाथ ने लिखा कि दशमी के अवसर पर शस्त्रों का पूजन करना भारत की प्राचीन परंपरा रही है।
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1600 करोड़ रुपये है कीमत
फ्रांस की कंपनी डसाल्ट एविएशन की ओर से बनाए गए इस लड़ाकू विमान का उपयोग कई कामों में होता है। राफेल ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर है। ये विमान एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जाता है। हालांकि अधिकतम भार उठाने की क्षमता 24500 किलोग्राम है। एक विमान की कीमत 1600 करोड है। इसकी लंबाई 15.27 मीटर है और इसमें एक से दो पायलट बैठ सकते हैं। जानकारी के मुताबिक है कि विमान में ईंधन क्षमता 4700 किलोग्राम है। विमान की अधिकतम रफ्तार 2500 तक किमी प्रति घंटा है और इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है।
युद्ध में है बेहद कारगर
राफेल सैन्य कार्रवाई में बेहद उपयोगी लड़ाकू विमान है। इसमें 1.30 एमएम की एक गन लगी है जो एक बार में 125 राउंड गोलियां निकाल सकती है। राफेल में घातक एमबीडीए एमआइसीए, एमबीडीए मेटेओर, एमबीडीए अपाचे, स्टोर्म शैडो एससीएएलपी मिसाइलें भी लगी रहती हैं।
इसमें थाले आरबीई-2 रडार और थाले स्पेक्ट्रा वारफेयर सिस्टम लगा होता है। साथ ही इसमें ऑप्ट्रॉनिक सेक्योर फ्रंटल इंफ्रा-रेड सर्च और ट्रैक सिस्टम भी लगा है। अमेरिका, जर्मनी और रूस भी चाहते हैं कि भारत उनसे लडाकू विमान खरीदें। अमेरिका भारत को एफ-16 और एफ-18, रूस मिग-35, जर्मनी और ब्रिटेन यूरोफाइटर टायफून और स्वीडन ग्रिपन विमान बेचना चाह रहे थे, लेकिन मोदी सरकार ने राफेल को खरीदने का फैसला किया है।
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