
सरकार ने अगले तीन वर्षों में सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में ”डे केयर सेंटर” स्थापित करने की बजटीय घोषणा पर अमल करने के लिए सभी जिला अस्पतालों में खामियों की पहचान तथा बुनियादी ढांचे की समीक्षा के लिए सर्वेक्षण शुरू किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इन केन्द्रों की स्थापना पर अगले तीन वर्षों में 3200 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह केंद्र चार से छह बिस्तरों वाले होंगे और इनमें किमोथेरेपी सेवाएं उपलब्ध कराने तथा कैंसर की रोकथाम और जागरूकता कार्यक्र्म चलाने पर ध्यान दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि हमने इन कैंसर केन्द्रों की स्थापना के लिए सभी जिला अस्पतालों के बुनियादी ढांचे की समीक्षा शुरू कर दी है। कैंसर देखभाल के लिए सरकार के सतत प्रयास के हिस्से के रूप में पिछले कुछ वर्षों में 19 राज्य कैंसर संस्थानों और 20 टेरीटरी कैंसर देखभाल केन्द्रों के लिए 2014-15 से 2025-26 के बीच की अवधि के लिए तीन हजार करोड़ रुपए से अधिक धनराशि स्वीकृत की गई है। देश के 22 नए एम्स समेत राज्य कैंसर संस्थानों और 20 क्षेत्रीय संस्थानों ने कैंसर उपचार सुविधा केंद्र बनाने की स्वीकृति दे दी है। देश में फिलहाल कुल 764 जिला अस्पताल हैं जिनके लिए कैंसर के दौरान होने वाले कीमोथेरेपी आदि देने की व्यवस्था करने की आवश्यकता है।
वित्त मंत्री ने बजट में कहा था कि सरकार अगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में ”दे केयर कैंसर” केंद्र स्थापित करने में मदद करेगी व 2025-26 में 200 केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इससे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक लोगों की कैंसर देखभाल तक पहुँच बढ़ेगी। साथ ही इससे प्रमुख कैंसर देखभाल केन्द्रों का बोझ कम होगा।
कैंसर डे केयर सेंटर में कई आधुनिक उपकरणों से मरीजों का इलाज होगा। यहां कीमोथेरेपी से लेकर जरूरी दवाएं तक दी जाएंगी। डे केयर सेंटर में कैंसर मरीजों को इस बीमारी के निपटने में भी मदद की जाएगी। यहां मरीजों और उनके परिजनों को चिकित्सीय सलाह और अन्य सहायता प्रदान की जाएगी।
नहीं पड़ेगी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत
कैंसर का इलाज करा रहे रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आम तौर पर पेशेंट को अस्पताल में एडमिट करने और इलाज करने में काफी खर्च आता है, लेकिन डे केयर सेंटर खुल जाने से कैंसर के रोगी को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पीड़ित शख्स कीमोथेरेपी लेने के बाद पूरे दिन अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रहेगा, इसके बाद शाम को वो घर आ सकता है।