जानिए क्यों मगरमच्छ की मौत पर रोया पूरा गांव, इस तरह हुआ अंतिम संस्कार
समाज में कभी-कभी इंसान और जानवरों के बीच प्रेम के ऐसे उदाहरण सामने आते हैं, जो लोगों के दिल को छू लेते हैं। ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के एक गांव में देखने का मिला है। जहां एक मगरमच्छ के मरने पर पूरे गांव के लोगों ने उसे दुखी मन से विदाई दी। 130 साल उम्र वाले इस मगरमच्छ की लंबाई 03 मीटर से ज्यादा था। गांव वासियों ने मगरमच्छ की शवयात्रा को पूरे सम्मान के साथ ट्रैक्टर पर निकाला और अपने ही गांव में दफन कर दिया। गांव वाले इस मगरमच्छ को प्यार से गंगाराम के नाम से पुकारते थे।
यह भी पढ़ें : झारखंड सरकार ने एक दिन में दिया इतने लाख युवाओं को रोजगार
130 साल के मगरमच्छ की हुई मौत
छत्तीसगढ़ के बेमेतरा के बवामोहतरा गांव में इस वक्त मातम पसरा है। यहां गांव के चहेते 130 साल के मगरमच्छ की मौत हो गई है। बताते हैं कि मंगलवार की सुबह गांव के कुछ लोग नहाने के लिए तालाब पहुंचे थे तो उन्होंने देखा कि गंगाराम पानी में कुछ हरकत नहीं कर रहा है। काफी मशक्कत के बाद उसे पानी से बाहर निकाला गया। इसके बाद ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम को मौके पर बुलाया, पहुंचकर उसकी मौत की पुष्टि की। खबर सुनते ही गांव वालों की आंखों से आंसू छलक पड़े। टीम ने बताया कि गंगाराम की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है। गांव वालों ने इसके बाद गंगाराम के शव को सम्मान के साथ दफन किया। शवयात्रा में गांव के करीब 500 लोग शामिल हुए।
ग्रामीणों के साथ था भावनात्मक रिश्ता
बवामोहतरा गांव के लोगों ने बताया कि गंगाराम एक मगरमच्छ नहीं एक दोस्त की तरह था। तालाब में उसके आगे-पीछे बच्चे तैरते रहते थे, लेकिन उसने कभी भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया। गांव के लोग उसे देवता की तरह मानते थे और उसकी पूजा करते थे। गांव वाले गंगाराम को दाल और चावल खिलाया करते थे। वह बहुत समझदार भी था। वह जब किसी को तालाब में तैरते देखता था, तो खुद ही तालाब में दूसरी तरफ चला जाता था। इस बारे में गांव के सरपंच मोहन साहू ने बताया कि इस मगरमच्छ के चलते ही गांव की पहचान थी। दूसरे गांव के लोग हमारे गांव को मगरमच्छा वाला गांव कहते थे।
यह भी पढ़ें: इस डीएम ने अपनी बेटी का यहां एडमिशन कराकर जीत लिया लोगों का दिल
वन विभाग ने ग्रामीणों को दे दिया शव
इस मगरमच्छ के प्रति ग्रामीणों के भावनात्मक लगाव को देखते हुए वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ के शव को ग्रामीणों को सौंप दिया है। इस बारे में वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गांववाले भावनात्मक तौर पर मगरमच्छ से काफी जुड़े हुए थे। इसलिए हमने उसका शव गांववालों को दे दिया, उन्होंने उसका शव तालाब के पास दफनाया है। वह तालाब के पास ही उसकी मूर्ति भी बनाना चाहते हैं। गांव के सरपंच ने बताया कि जल्द ही वह इस मामले में फैसला लेंगे।
इस सेक्शन की और खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...