नई दिल्ली: केंद्र सरकार 2025 से देशभर में जनगणना प्रक्रिया शुरू करने की योजना बना रही है, जिसे 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। भारत टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, चार साल की देरी के बाद जनगणना की यह प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद, केंद्र की भाजपा सरकार लोकसभा सीटों का परिसीमन कार्य भी शुरू करेगी, जिसे 2028 तक पूरा किए जाने की संभावना है।
विपक्ष की जातिगत जनगणना की मांग
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग की है। हालांकि, अब तक इस जनगणना प्रक्रिया के विस्तृत दिशानिर्देश सामने नहीं आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आगामी जनगणना में सामान्य, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) वर्गों में उप-जातियों का भी सर्वेक्षण शामिल किया जा सकता है। इससे इन वर्गों के आंकड़े अधिक सटीकता से उपलब्ध होंगे।
जातिगत जनगणना पर सरकार की प्रतिक्रिया
जातिगत जनगणना को लेकर सरकार की चुप्पी पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जातिगत जनगणना को नकारना ओबीसी समुदायों के साथ विश्वासघात है। सरकार राजनीतिक अहंकार में हमारे लोगों को उनके उचित प्रतिनिधित्व से वंचित कर रही है। क्या RSS, JDU, और TDP इस मुद्दे पर जनता के साथ खड़ी होंगी या चुप रहेंगी?”
परिसीमन की प्रक्रिया और राजनीतिक असर
जनगणना पूरी होने के बाद परिसीमन प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा, जिसके तहत लोकसभा सीटों के नए सिरे से सीमांकन किए जाएंगे। परिसीमन के माध्यम से सीटों का पुनर्गठन होगा, जो राज्यों की आबादी के आधार पर लोकसभा सीटों के आवंटन में बदलाव ला सकता है। यह प्रक्रिया 2028 तक पूरी की जा सकती है।
क्या होगा जनगणना में खास?
रिपोर्ट के अनुसार, इस बार की जनगणना में सामान्य, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या को भी दर्ज किया जाएगा। जनगणना के आंकड़े सामाजिक-आर्थिक नीति निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण होंगे और इससे विभिन्न जातियों की आर्थिक स्थिति और उनकी जरूरतों का आकलन हो सकेगा।
राजनीतिक दलों के बीच बढ़ता तनाव
जातिगत जनगणना के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। विपक्ष का कहना है कि जातिगत आंकड़े उपलब्ध होने से ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को उनके अधिकार और प्रतिनिधित्व की दिशा में एक मजबूत आधार मिलेगा। वहीं, सरकार अब तक जातिगत जनगणना के पक्ष में कोई स्पष्ट बयान नहीं दे पाई है।
जनगणना और परिसीमन का भविष्य में असर
आगामी जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया भारतीय राजनीति और सामाजिक संरचना में बड़े बदलाव ला सकती है। जहां एक तरफ जनगणना से नीति निर्माण में सहूलियत होगी, वहीं परिसीमन के बाद लोकसभा में राज्यों की हिस्सेदारी में भी बदलाव देखने को मिल सकता है। ऐसे में इन दोनों प्रक्रियाओं का राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रभाव व्यापक हो सकता है।
संक्षेप:
जनगणना 2025 में शुरू होगी और 2026 तक पूरी हो सकती है। इसके बाद परिसीमन प्रक्रिया को 2028 तक पूरा करने की योजना है। विपक्ष जातिगत जनगणना की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार ने अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है।