भारतवंशी डॉक्टर ने वो कर दिखाया जो आजतक विश्व में केवल एक बार हुआ है

एड्स एक गंभीर बीमारी है। बताते हैं कि अगर यह बीमारी किसी को हो तो जाए तो इलाज काफी मुश्मिल हो जाता है, लेकिन ब्रिटेन के डॉक्टर्स ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो आज तक विश्व में केवल एक बार ही संभव हो सका है। ब्रिटेन के डॉक्टर्स ने एक एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति को पूरी तरह से इस बीमारी से निजात दिला दी है। इन डॉक्टर्स के दलों में भारतीय मूल के डॉक्टर रवीन्द्र गुप्ता भी शामिल थे।
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भारतीय वंशी डॉक्टर ने बढ़ाया मान
इन डॉक्टर्स के दल में भारतीय मूल के डॉक्टर रवीन्द्र गुप्ता का बेहद ही अहम रोल रहा है। वह बताते हैं कि जब हमने मरीज की फाइनल जांच कराई तो वह पूरी तरह से बीमारी मुक्त निकला। उन्होंने बताया कि वह दिन दूर नहीं जब हम इस बीमारी का पूरी तरह से समाधान ढूंढ निकालेंगे। डॉ गुप्ता ने बताया कि इससे पहले अमेरिका के रहने वाले टिमोथी ब्राउन का डॉक्टर्स ने सफल इलाज किया था, जिसके बाद वह एचआईवी मुक्त पाए गए थे। उनका इलाज जर्मनी में हुआ था।
मरीज को 2003 में हुआ था एड्स
ब्रिटेन के एक व्यक्ति को वर्ष 2003 में एचआईवी हो गया था। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के चलते इस व्यक्ति को वर्ष 2012 में ब्लड कैंसर भी हो गया। 04 साल में उसका स्वास्थ्य काफी ज्यादा गिर गया था। डॉक्टर्स ने इस मरीज के सेल ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया था। इस प्रक्रिया में डॉक्टर्स ने जिस डोनर को चुना था उसमें जेनिटिक म्यूटिलेशन सीसीआर5 डेल्टा 32 जीन पाया गया था। डॉक्टर्स बताते हैं कि यह एचआईवी के प्रति रोधक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है। ऐसे लोग बेहद कम ही पाए जाते हैं, जिसमें सीसीआर5 म्यूटिलेशन होता है। डॉक्टर्स के अनुसार यह जीन उत्तरी यूरोपीय वंश के लोगों में ज्यादा पाया जाता है।
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दुनिया में 3.7 करोड़ एचआईवी पीड़ित
मौजूदा समय में दुनिया के 3.7 करोड़ लोग एचआईवी से पीड़ित हैं। इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर वर्ष 1980 में देखने को मिला था। अभी तक इस खतरनाक बीमारी के कारण दुनियाभर में 3.5 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है। एड्स ऐसी खतरनाक बीमारी है जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह से तबाह कर देती है। धीरे-धीरे व्यक्ति मौत की तरफ बढ़ता चला जाता है। हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोज से भी डॉक्टरों को इतनी उपलब्धि मिली है।
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