भट्टा पारसौल आंदोलन: योगी सरकार किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को लेगी वापस

उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक के किसानों के बीच में इस समय सियासत काफी गर्म चल रही है। यूपी के किसानों का भी अब लगातार झुकाव आंदोलन की तरफ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अब योगी सरकार किसानों के हित में काम करने के लिए एक के बाद एक घोषणांए कर रही है। आज उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बार फिर बड़ा ऐलान करते हुए गौतम बुद्ध नगर के भट्टा पारसौल में आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने का फैसला लिया है। सरकार की तरफ से आज दो मुकदमें वापस ले लिए गए हैं। किसानों पर ये मुकदमें सात मई 2011 को जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन के दौरान पुलिस और किसानों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के दौरान दर्ज किए गए थे।
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बता दें, बसपा शासनकाल में यमुना एक्सप्रेस-वे के चल रहे विवाद की वजह से भूमि अधिग्रहण को खिलाफ किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। किसानों का आंदोलन इतना तेज हो गया था कि जिला प्रशासन के बीच तनाव पैदा हो गया था। यही नहीं, सात मई 2011 को पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प भी हो गई थी। इस घटना में दो किसान और दो पुलिसवाले भी मारे गए थे। इसके बाद पुलिस ने किसानों के ऊपर मुदकमा लिख दिया था। अब योगी सरकार ने किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमों को वापस किए जाने के लिए राज्यपाल आंनदीबेन पटले से अनुमति मांगी है। बता दें, पिछले दिनों जेवर से भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह ने सरकार से किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने की मांग की थी। बता दें, गौतमबुद्धनगर की दनकौर कोतवाली में दर्ज मुकदमें में तीन दर्जन से अधिक किसानों को आरोपी बनाया गया था।
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इन धाराओं में दर्ज किया गया था मुकदमा
पुलिस और किसानों के बीच में हुई झड़प के दौरान गौतमबुद्धनगर जिले में दनकौर कोतवाली में दो मुदकमें दर्ज किए गए थे। पुलिस की तरफ से दनकौर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था। मुकदमा अपराध संख्या 96/2011, आईपीसी की धारा 147, 394, 308, 364, 325 और 323 के तहत मुकदमा लिखा गया है। पुलिस की तरफ से आरोप लगाया गया था कि पीएसी की कंपनी पर हमला और उनके हथियारों की लूट की गई थी। यह मुकदमा किसान नेता मनवीर तेवतिया सहित 30 अन्य किसानों पर दर्ज किया गया था। पुलिस ने दूसरा मुकदमा अपराध संख्या 251/2011। 25 आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज किया गया था। सरकार ने यह मुकदमा प्रेमवीर सहित अन्य किसानों पर दर्ज किया था। बता दें, इसके अलावा 20 मुकदमें दर्ज किए गए थे। भट्टा पारसौल आंदोलन के बाद दौरान लूट, डकैती, अपहरण, बलवा, आगजनी, अवैध हथियारों का उपयोग, सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने, हत्या का प्रयास, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने और हत्या जैसे आरोपों में 20 मुकदमे दर्ज किए गए थे। सरकार की तरफ से अब तक 13 मुकदमें दर्ज किए गए थे। अब बीजेपी सरकार की तरफ से दो मुकदमें वापस लिए गए हैं।
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