
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास जताते हुए जनता ने दो-तिहाई बहुमत के साथ दिल्ली में डबल इंजन सरकार बना दी। मोदी ने दिल्ली को विश्वस्तरीय राजधानी बनाने के लिए सेवा का एक मौका मांगा था। कहा था कि उन पर विश्वास करें दिल्ली को संवारने के लिए वह स्वयं समय देंगे। मोदी की लोकप्रियता, आक्रामक चुनाव प्रचार और मजबूत बूथ प्रबंधन से 27 वर्षों बाद दिल्ली में भाजपा सरकार आई है।
भाजपा 70 में से 48 सीटें जीतने में सफल रही। पिछले तीन विधानसभा चुनावों में 28, 67, 62 सीटें जीतकर सरकार बनाने वाली आप का 22 सीटों के साथ यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। भगवा लहर में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उपमुख्यमंत्री मनीष सीसोदिया सहित पार्टी के कई बड़े नेता चुनाव हार गए। मुख्यमंत्री आतिशी को भी कड़े मुक़ाबले का सामना करना पड़ा लेकिन वह लगभग 3500 मतों से चुनाव जीतने में सफल रहीं।
कॉंग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। उसका मत प्रतिशत बढ़ा है लेकिन लगातार तीसरे चुनाव में उसका खाता नहीं खुल सका। आप के मजबूत गढ़ झुग्गी बस्तियों व अनाधिकृत कालोनियों में भाजपा जनाधार बढ़ाने में सफल रही। महिलाओं ने मोदी पर विश्वास जताया। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भी मत बटा जिससे मुस्तफाबाद जैसी मुस्लिम बाहुल्य सीट भाजपा के खाते में गई।
विधानसभा गठन के बाद वर्ष 1993 में दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी थी। पांच साल बाद वर्ष 1998 में हुए चुनाव में कॉंग्रेस को सत्ता मिली उसके बाद से भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। दिल्ली में पहले 15 वर्षों तक कॉंग्रेस उसके बाद आप की सरकार रही। लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी भाजपा विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाती थी। वर्ष 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीटें जीतने के कुछ माह बाद हुए विधानसभा चुनावों में उसे बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। पार्टी इस बार सतर्क थी और उसने लोकसभा चुनाव के बाद से ही तैयारी शुरू कर दी थी।