हिमंत सरकार का बड़ा फैसला, असम में गोमांस पर प्रतिबंध; होटल-रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर भी पाबंदी

असम सरकार ने गोमांस (बीफ) पर बैन लगा दिया है। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इसकी जानकारी दी। सीएम ने बताया कि यह फैसला मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। अब राज्य के होटलों, रेस्टोरेंट्स और सार्वजनिक स्थनों पर गोमांस नहीं परोसा जा सकेगा।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा-

हम असम में गोहत्या रोकने के लिए 3 साल पहले कानून लाए थे। इससे गोहत्या रोकने में काफी सफलता मिली है। अब हमने फैसला किया है कि असम में किसी रेस्तरां या होटल में गोमांस नहीं परोसा जाएगा और साथ ही इसे किसी सार्वजनिक समारोह या सार्वजनिक स्थान पर भी नहीं परोसा जाएगा, इसलिए आज से हमने होटलों, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस की खपत को पूरी तरह से बंद करने का फैसला लिया है। पहले हमारा फैसला मंदिरों के पास गोमांस खाने पर रोक लगाने का था लेकिन अब हमने इसे पूरे राज्य में विस्तारित कर दिया है कि आप इसे किसी भी सामुदायिक स्थान, सार्वजनिक स्थान, होटल या रेस्तरां में नहीं खा पाएंगे। हमने जो तीन साल पहले कदम उठाया था, उसे हम और आगे ले जा रहे हैं।

असम सरकार में मंत्री पीयूष हजारिका ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा-

मैं असम कांग्रेस को चैलेंज करता हूं कि वे या तो इस फैसले का स्वागत करें या फिर पाकिस्तान जाएं।

दरअसल, सामगुरी सीट पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान हुआ था। 23 नवंबर को परिणाम आने के बाद कांग्रेस की हार पर सांसद रकीबुल हुसैन ने भाजपा पर बीफ बांटने का आरोप लगाया था।इसके जवाब में सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को बीजेपी की बैठक के बाद मीडिया से कहा-

वे राज्य में गोमांस पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कांग्रेस इसे लिखित में दे।

क्या गोमांस देकर सामगुरी सीट जीती जा सकती है: सरसा

सरसा ने कहा था, मैं जानना चाहता हूं कि क्या कांग्रेस मतदाताओं को गोमांस देकर सामगुरी जीत रही थी। वह सामगुरी को अच्छी तरह से जानते हैं। क्या इसका मतलब यह कि गोमांस देकर सामगुरी जीती जा सकती है। इस साल धुबरी लोकसभा सीट से 10.12 लाख से अधिक मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीतकर हुसैन सांसद बने हैं। इससे पहले वे लगातार पांच बार सामगुरी से विधायक रहे थे।

सरसा ने कहा, मैं रकीबुल हुसैन से कहना चाहता हूं कि गोमांस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने खुद कहा है कि ये गलत है। उन्हें मुझे केवल लिखित में देने की जरूरत है। भाजपा और कांग्रेस को गोमांस के बारे में नहीं बोलना चाहिए। BJP, AGP, CPM कोई भी ऑफर नहीं कर पाएगा और हिंदू, मुस्लिम और ईसाई सभी को गोमांस खाना बंद कर देना चाहिए।

असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021

असम में गोमांस का सेवन गैरकानूनी नहीं है, लेकिन असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021 उन क्षेत्रों में मवेशी वध और गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाता है जहां हिंदू, जैन और सिख बहुसंख्यक हैं और किसी मंदिर या सत्र (वैष्णव मठ) के पांच किलोमीटर के दायरे में हैं।

इन राज्यों में अभी भी गोमांस पर नहीं है प्रतिबंध

भारत एक ऐसा देश है, जहां लगभग 80 फीसदी आबादी हिंदू है। हिंदू गाय को पूजते हैं। यही वजह है कि देश में गोमांस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग लंबे वक्त से हो रही है। कुछ राज्यों में ऐसी व्यवस्था है भी। लेकिन अभी भी कई राज्य ऐसे हैं, जहां गोमांस बेचने की छूट कानून में मिली हुई है। इन राज्यों में केरल, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और लक्षद्वीप (केंद्रशासित प्रदेश) शामिल हैं।

असम भी इन्हीं राज्यों में से एक था, लेकिन अब हिमंत सरकार के फैसले के बाद वह गोमांस पर प्रतिबंध वाले राज्यों की सूची में शामिल हो गया है। जिन राज्यों में गोमांस पर पूरी तरह से बैन है, इसमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और चंडीगढ़ (केंद्रशासित प्रदेश) शामिल हैं।

गोहत्या पर देश में नहीं है केंद्रीय कानून

गोहत्या पर भारत में कोई केंद्रीय कानून नहीं है। अलग-अलग राज्य अपने अनुसार नियमों को तय करते हैं। जैसे हरियाणा में गो हत्या कानून के उल्लंघन पर एक लाख रुपये का जुर्माना और 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है।

छत्तीसगढ़ एकलौता ऐसा राज्य है, जहां गो वंश के साथ-साथ भैंस के मांस पर भी बैन लगा है। बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा और केंद्र शासित प्रदेशों जैसै- दमन व दीव, दादर और नागर हवेली, पुड्डुचेरी और अंडमान निकोबार में आंशिक रूप से प्रतिबंध लगाया गया है।

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