अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम नहीं, बाकी हैं अभी ये दो विकल्प
अयोध्या राम जन्मभूमि पर चल रहे बहुप्रतीक्षित फैसले का इंतजार आज खत्म हो गया है। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने विवादित जमीन पर रामलला के हक में फैसला सुनाया। निर्मोही अखाड़े को ट्रस्ट में जगह देने की अनुमति को खारिज कर दिया गया है। मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम होता है और इसके बाद कोई अपील नहीं की जा सकती लेकिन फिर भी फैसले से असंतुष्ट पक्ष के पास अभी दो विकल्प हैं। पक्ष सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका की मांग कर सकते हैं और ये याचिका खारिज होने के बाद असंतुष्ट पक्ष क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर सकता है। इसके लिए अलग नियम होते हैं।
किसी भी फैसले के खिलाफ 30 दिन के अंदर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है। इसके बाद पीठ को इसपर दोबारा विचार करना होता है। इसके अलावा पुनर्विचार याचिका में ये भी साबित करना होता है कि फैसले में कमियां थीं। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई फैसला सुनाने वाली पीठ के न्यायाधीश चैंबर में सर्कुलेशन के जरिये होती है न कि खुली अदालत में। यहां पर सिर्फ मुकदमे की फाइलें और रिकार्ड होते हैं जिसके जरिए विचार होता है।
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कब दाखिल की जा सकती है क्यूरेटिव याचिका
पुनर्विचार याचिका खारिज होने के 30 दिन के अंदर क्यूरेटिव याचिका दाखिल की जाती है। क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल 2002 को अशोका रूपा हुर्रा मामले में तय किया था। क्यूरेटिव याचिका के नियम काफी सख्त हैं। इसकी सुनवाई भी न्यायाधीश सर्कुलेशन के जरिये चैम्बर में होती है। क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई के लिए पीठ में तीन वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं और बाकी फैसला देने वाले न्यायाधीश होते हैं। अगर फैसला दो न्यायाधीशों का है तो उस मामले में क्यूरेटिव याचिका पर तीन वरिष्ठतम न्यायाधीश और दो फैसला देने वाले न्यायाधीश मिलाकर कुल पांच न्यायाधीश सुनवाई करेंगे।
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राममंदिर पर क्यूरेटिव याचिका दायर करना भी होगा कठिन
राम मंदिर के फैसले पर क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई थोड़ी मुश्किल हेा सकती है। नियम के मुताबिक, तीन वरिष्ठतम न्यायाधीश सुनवाई पीठ में शामिल होने चाहिए और बाकी फैसला देने वाले न्यायाधीश शामिल होंगे। इस मामले में फैसला देने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ में दो न्यायाधीश वरिष्ठतम हैं- मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और एसए बोबडे।अगर क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई का नंबर जस्टिस गोगोई के रिटायरमेंट के बाद आता है तो भी सुनवाई करने वाली पीठ में जस्टिस एसए बोबडे शामिल हैं जो कि उस समय मुख्य न्यायाधीश होंगे। इसके अलावा दो और वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना और अरुण मिश्रा पीठ में शामिल होंगे। बाकी के तीन न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नजीर शामिल हो जाएंगे। पीठ में कुल न्यायाधीश छह होंगे जिसमें से चार फैसला सुनाने वाली मूल पीठ के होंगे। ऐसे में क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई का सिद्धांत पूरा नहीं होता।
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