अमरोहा कांड: पहली बार होगी किसी महिला को फांसी, वजह सुनकर आप भी हो जाएंगे हैरान
ये मामला उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले का है जहां शबनम और सलीम को निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने फांसी की सजा सुना दी है। राष्ट्रपति ने भी इनकी दया याचिका खारिज कर दी थी। दोनों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर फांसी माफ करने की गुहार लगाई थी, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रख दिया गया है।
शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 14 अप्रैल, 2008 की रात को अपने ही माता-पिता और मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों का कुल्हाड़ी से काट कर मौत की नींदसुला दी थी। शबनम को मथुरा जेल में फांसी दी जाएगी और आजादी के बाद वो पहली महिला होंगी जिन्हें फांसी पर लटकाया जाएगा। हालांकि इससे पहले सीरियल किलर रेणुका शिंदे और सीमा गावित को 31 अगस्त 2006 को फांसी की सजा सुनाई गई थी लेकिन अभी तक फांसी हुई नहीं है। शबनम की दायिका याचिका खारिज होने के बाद अब उनकी फांसी लगभग तय है।
निर्भया के दोषियों को अब 1 फरवरी को होगी फांसी, पटियाला हाउस कोर्ट ने जारी किया नया डेथ वारंट
क्या है पूरा मामला
अमरोहा जिले के हसनपुर इलाके के बावनखेड़ी गांव के शौकत अली पेशे से शिक्षक थे और परिवार में पत्नी, बेटा, बहू, बेटी और दस महीने का पौत्र अर्श था। उनकी बेटी शबनम गांव में ही शिक्षामित्र बन गई थी। कुछ समय बाद ही गांव के एक लड़के सलीम के साथ उनका प्रेम प्रसंग चलने लगा। दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन परिवार को ये रिश्ता स्वीकार नहीं था।
परिवार के खिलाफ जाकर दोनों ने साजिश रची और उसके बाद जो हुआ उस पर भरोसा करना मुश्किल होगा। 14 अप्रैल 2008 की रात को शबनम और उसके प्रेमी ने मिलकर पूरे परिवार को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया। दस माह के भतीजे को काटते वक्त भी शबनम के हाथ नहीं कांपे। घटना के बाद सलीम वहां से भाग गया और शबनम ने शोर मचाकर लोगों से कहा कि घर में बदमाश घुस आए थे। कमरों में लाइन से बिछी लाशें देखकर हर कोई हैरान था। घटना के चौथे दिन पुलिस ने शबनम व सलीम को हिरासत में ले लिया, पूछताछ के दौरान दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था।
ये भी पढ़ें: निर्भया की मां ने एक बार फिर लगाई गुहार, 'मेरी बच्ची की मौत का मजाक न बनाएं'
गांव में लोग नहीं रखते बेटी का नाम शबनम
गांव वालों को शबनम से इतनी नफरत है कि पूरे गांव में अब अपनी बेटी का नाम कोई शबनम नहीं रखना चाहता। शबनम ने परिवार के सात लोगों की हत्या करके पूरे देश में गांव को बदनाम कर दिया। गांव वालों को इस बात से आज तक नाराजगी है। सलीम एक आरा मशीन पर मजदूरी करता था और ये कहानी भी वहीं से शुरू हुई थी।
CAB Protest: योगेंद्र यादव कहा, आज के दिन हिरासत में होना मेरे लिए सम्मान की बात
जेल में फूट फूटकर रोई शबनम
पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शबनम रामपुर जेल में फूट फूटकर रोई। सूत्रों के मुताबिक अब उसे ये पछतावा हो रहा है। उसे रामपुर जेल में शिफ्ट कर दिया गया है और फांसी का खतरा अब उसे चैन से सोने नहीं दे रहा। शबनम ने मुरादाबाद जेल में एक बेटे को भी जन्म दिया था जिसे बाद में उसके एक दोस्त ने गोद ले लिया था।
उन्नाव पीड़िता को ढाई साल बाद मिला इंसाफ, अब जेल में रहेंगे पूरी उम्र
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...