भारतीय मूल की युवतियों ने किया बड़ा काम, मिला 17 लाख रुपये का इनाम
बढ़ते प्रदूषण को लेकर वैज्ञानिक लगातार चिंता जाहिर कर रहे हैं। कई देशों के प्रदूषण स्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। भारत जैसा देश भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन इन खतरनाक परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं। अमेरिका में 04 भारतीय छात्राओं को पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करने पर करीब 17 लाख रुपये की राशि देकर सम्मानित किया गया है। ये चारों युवतियां अमेरिका के सबसे पुराने व मशहूर साइंस व गणित की प्रतियोगिता 'रीजेनरॉन साइंस टैलेंट सर्च' के अंतिम चरण में भी पहुंच गई हैं।
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कुएं के पानी में पता चल सकेगा आर्सेनिक
इस युवतियों में भारतीय मूल की केंटकी की रहने वालीं 16 वर्षीय अंजलि चड्ढा, उत्तरी कैरोलिना की 17 वर्षीय नवामी जैन, पेंसिलवेनिया की 17 वर्षीय ममीडाला व डेलावेयर की कृष्णमणि प्रीति शामिल हैं। इसमें अंजलि चड्ढा ने कुएं के पानी में आर्सेनिक की मौजूदगी को पता करने के लिए सेंसर बनाने का काम किया है। इसके चलते उन्हें पुरस्कृत किया जा रहा है। आपको बता दें कि अमेरिका जैसे विकसित देश में भी अभी तक करीब 05 करोड़ लोग कुएं का पानी पीते हैं। इससे उनके शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
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बॉयो एथेनॉल को बनाने का अलग तरीका ढूंढा
वहीं कृष्णमणि को धान के पौधों को आर्सेनिक के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए चुना गया है। आर्सेनिक के चलते धान के पौधों को काफी नुकसान पहुंचता है। वहीं ऐसे प्रदूषित धान का सेवन करने से मानव के शरीर पर भी प्रतिकूल असर नजर आता है। वहीं नवामी जैन ने बॉयो एथेनॉल को बनाने के नए तरीके विकसित किए हैं।
अभी तक एथेनॉल को कई तरीके से प्राप्त किया जाता रहा है। जिसमें कृषि उत्पादों से एथेनॉल उत्पादित करना अभी तक का सबसे अच्दा तरीका है। बॉयो एथेनॉल एक प्रकार का ईंधन है। इसका उपयोग प्रदूषण को फैलने से बचाता है। वहीं गार्नेट वैली हाईस्कूल में पढ़ने वालीं ममीडला ने उत्प्रेरकों की मदद से ऊर्जा को उत्पादित करने में सफलता प्राप्त की है। यह ऊर्जा पर्यावरण के लिए इको-फ्रेंडली है।
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