ज़हरीली हवा के चलते जिन शहरों मेँ सांस लेने मेँ भी दम घुटता था और लोग एलर्जी और सांस से संबन्धित कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे थे अब उन शहरों की वायु गुणवत्ता मेँ काफी सुधार हुआ है। लोग चैन की सांस ले रहे हैं। फिर चाहे वह वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, आगरा, देहरादून, जालंधर, गाजियाबाद हो या फिर धनबाद। देश के 21 शहर तो ऐसे हैं जहां की वायु गुणवत्ता मेँ वर्ष 2017-20187 के मुक़ाबले 2023-2024 मेँ 40 प्रतिशत से अधिक का सुधार हुआ है। यह संभव हुआ है राष्ट्रिय स्वच कार्यक्रम। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार देश भर मेँ 131 शहरों मेँ चलाये गए इस अभियान के तहत 95 शहरो की हवा पहले के मुक़ाबले साफ हुई है।
वायु की क्वालिटी मेँ कुछ सुधार को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की यह रिपोर्ट वैसे तो राहत देने वाली है, लेकिन अगले महीने से खराब हवा का शुरू होने वाला दौर चिताएं बढ़ाने वाला भी है। उस दौरान दिल्ली एनसीआर सहित समूचे उत्तर भारत की हवा ज़हरीली हो जाती है। लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। हर साल सितंबर महीने से शुरू होने वाला यह दौर अगले साल जनवरी-फरवरी तक चलता है। इस दौरान वायु गुणवत्ता मेँ सुधार के सभी दावे दम तोड़ देते हैं। दिवाली के आस पास तो ये हवा बेहद खतरनाक स्थिति मेँ पहुंच जाती है। खास बात ये है की स्थिति मेँ वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें सक्रिय डिकती हैं।