अहमदाबाद में अनूठी पहल, कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को दी गई यह जिम्मेदारी

अहमदाबाद नगर निकाय ने कोरोना वायरस को लेकर एक अनूठी पहल शुरू की है। निकाय ने कोरोना वायरस संक्रमण से उभर चुके मरीजों को अब अहम जिम्मेदारी दी है। इन लोगों को स्वयंसेवी के तौर पर कोविड-19 केयर केंद्र में तैनात किया गया है। नगर निकाय ने यह काम करने के लिए पहले उन्हें तैयार किया, फिर उसके बाद यह अहम जिम्मेदारी है। शहर में यह केंद्र कोविड-19 से पीड़ित मरीजों के लिए स्थापित किए गए हैं।
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अहमदाबाद नगरपालिका आयुक्त विजय नेहरा ने बताया कि यह पहल इसलिए शुरू की गई है क्योंकि ठीक हुए मरीजों में प्रति रोगप्रतिरोध क्षमता विकसित कर लेने की संभावना होती है और उनके दोबारा कोरोना से संक्रमित होने की आशंका अन्य लोगों की तुलना में बहुत कम होती है। ऐसे में उनको स्वयंसेवी के तौर पर इन केंद्र में लगाने का निर्णय लिया गया है। इन पांच लोग ने अपनी मर्जी से कोविड-19 मरीजों की देखभाल करने की इच्छा जताई थी। नगर विकास आयुक्त ने बताया, 'यह तथ्य है कि जो लोग किसी विषाणु के संक्रमण से ठीक होते हैं तो उनमें प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। उनमें एंटीबॉडीज होती हैं और उनके दोबारा संक्रमित होने की आशंका अन्य के मुकाबले कम होती है। कोरोना वायरस से संक्रमित सात लोगों को एसवीपी अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी हैं, इसमें से पांच लोग स्वयंसेवी के तौर पर काम करने के लिए तैयार हैं।'
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विजय नेहरा ने बताया कि इन केंद्र पर काम करने वाले पांचों स्वयंसेवी को व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई) दिए जाएंगे। कोविड देखभाल केंद्र की योजना दो महीने पहले बनाई गई थी। शहर में मरीजों की संख्या बढ़ने पर इनका अब प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह केंद्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और केंद्र सरकार के निर्देशों के मुताबिक स्थापित किया गया है। इसमें डॉक्टरों की टीम, अन्य चिकित्सा स्टाफ और एंबुलेंस की सुविधा होगी। उन्होंने बताया कि शहर में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इन लोगों से सेवा ली जाएगी।
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मामले बढ़ने पर बनाया गया कोविड-19 केंद्र
अहमदाबाद में मरीजों की संख्या अधिक बढ़ने पर यहां अब कोविड-19 देखभाल केंद्र शुरू किया गया है। नगर निकाय की तरफ से शहर में शुरू किए गए इन केंद्र पर 18 से 60 साल वाले पीड़ित मरीजों को अस्पताल से अलग से रखने की व्यवस्था शुरू की गई है। यहां पर उन्हीं मरीजों को रखा जाएगा, जिन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कोई अन्य समस्या नहीं है। आयुक्त विजय नेहरा ने बताया कि इसका लक्ष्य अस्पताल के बेडों पर नाजुक स्थिति वाले मरीजों को सुरक्षित रखना है और जिन्हें चिकित्सीय देखभाल की जरूरत अधिक होती है। वहीं, जिन लोगों को कोरोना वायरस के अलावा अन्य कोई बीमारी नहीं है, उन मरीजों का इन केंद्रों पर भी डॉक्टर की परामर्श से इलाज किया जा सकता है।
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अहमदाबाद में बढ़ रहा मरीजों का आंकड़ा
गुजरात में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा अहमदाबाद शहर में ही है। यहां पर मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यहां पर रविवार तक कुल 266 मरीज हो गए और अब तक इस बीमारी के चलते 11 लोगों की मौत भी हो गई है। वहीं, गुजरात में कोरोना के अब तक कुल 493 मरीज मिले चुके हैं। इनमें से 23 की मौत हो चुकी है। राज्य की प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) जयंती रवि ने कहा कि गुजरात में अहमदाबाद ही सबसे संवेदनशील जगह है। यहां पर हॉट स्पॉट वाली जगहों की पहचान करके इलाज किया जा रहा है।
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मास्क न पहनने पर तीन साल की जेल
अहमदाबाद में गंभीर होती स्थिति को देखते हुए अब सख्त कदम उठाए गए है। यहां पर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नगर निगम ने आज से लोगों के लिए घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। अगर घर से बाहर निकलने वाला व्यक्ति मास्क नहीं पहनेगा, तो उस पर पांच हजार का जुर्माना या तीन साल की सजा हो सकती है। अहमदाबाद नगर आयुक्त विजय नेहरा ने बताया कि शहर में घातक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए महामारी कानून के तहत यह आदेश पारित किया गया है। शहर में सोमवार की सुबह छह बजे से, अहमदाबाद शहर के हर व्यक्ति के लिए घर से बाहर निकलने से पहले मास्क पहनना अनिवार्य होगा। बिना मास्क पहने मिलने वाले लोगों पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यही नहीं, जो व्यक्ति जुर्माना भर पाने में असमर्थ होंगे उन्हें तीन साल की कैद होगी।
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