खुशखबरी: ऑटिज्म का अब हो सकेगा इलाज, कानपुर में वैज्ञानिक ने किया दावा

ऑटिज्म एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो बच्चों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इस बीमारी में बच्चे समाज में घुलने-मिलने से कतराते हैं। ऑटिज्म पीड़ितों को एक बड़ी खुशखबरी आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के वैज्ञानिक ने दी है। वैज्ञानिक ने इस लाइलाज बीमारी का इलाज खोजने का दावा किया है। कानपुर आईआईटी में चल रहे पांच दिवसीय इंडियन सोसाइटी ऑफ डेवलपमेंट बॉयोलॉजिस्ट 2018 की अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में वैज्ञानिक माइकल पाइपर ने यह दावा किया है। अगर उनकी रिसर्च सही साबित होती है तो इसका लाभ पूरे विश्व के उन लाखों बच्चों को मिल सकता है जो इस गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
बीमारी नियंत्रण के लिए जिम्मेदार जीन की खोज
आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के वैज्ञानिक माइकल पाइपर ने अपनी खोज के बारे में बताया कि उन्होंने इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार जीन की खोज कर ली है। पाइपर के अनुसार दिमाग में सल्फ्रेट ट्रांसपोर्टर नाम का एक जीन पाया जाता है, जो अंदर चलने वालीं हरकतों के लिए जिम्मेदार होता है। उन्होंने चूहे के दिमाग से यह जीन निकाल दिया, जिसके बाद पाइपर ने पाया कि जीन निकालने के बाद चूहे में ऑटिज्म के लक्षण पाए गए हैं। इसके बाद जीन को फिर से चूहे के दिमाग में डाला गया, जिसके दो हफ्ते बाद चूहे से ऑटिज्म के लक्षण गायब हो गए। वैज्ञानिक के अनुसार सल्फ्रेट ट्रांसपोर्टर जीन का खत्म हो जाना ऑटिज्म की प्रमुख वजह है।
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ऑटिज्म के बारे में जानें
ऑटिज्म यानी स्वलीनता एक लाइलाज बीमारी है। जो बच्चों में होती है। इससे बच्चे समाज में घुलने-मिलने से डरते हैं। वह अपने आप में ही तल्लीन रहता है। यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। ऑटिज्म बच्चों की लिखित और मौखिक व दूसरों के साथ व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित कर देता है। इस बीमारी के लक्षण सभी बच्चों को अलग-अलग होते हैं। ऑटिज्म से पीड़ित कुछ बच्चे बेहद बुद्धिमान होते हैं, लेकिन बोलने और लिखने की क्षमता प्रभावित होने के चलते वे पिछड़ जाते हैं। इस बीमारी के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि बच्चे के अभिभावक इसके लक्षणों को समझ नहीं पाते, वे अपने बच्चे को पढ़ाई में कमजोर समझकर इलाज नहीं कराते।
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