
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने साल 2024-25 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर 8.25 प्रतिशत की ब्याज दर बरकरार रखी है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की 237वी बैठक में यह फैसला लिया गया। ब्याज दर को सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से अधिसूचित किए जाने के बाद सात करोड़ से अधिक सदस्यों के खातों में ब्याज दर के तहत बनाने वाले फंड को जमा कर दिया जाएगा।
ईपीएफओ की तरफ से ब्याज दर को ऐसे समय में पुराने स्तर पर ही बरकरार रखा गया है जब पिछले दिनों आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है। रेपों रेट में कटौती के बाद जानकारों की तरफ से उम्मीद जताई गई थी सरकार की तरफ से पीएफ की ब्याज दर में कुछ कटौती की जा सकती है।
ईपीएफओ ने फरवरी 2024 में ब्याज दर को 2022-23 के 8.15 प्रतिशत से बढ़ाकर 2023-24 के लिए 8.25 प्रतिशत कर दिया था। 2021-22 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर को चार दशक के निचले स्तर 8.10 प्रतिशत पर कर दिया गया था। मंत्रालय ने कहा कि कई अन्य निश्चित आय साधनों की तुलना में, कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) अपेक्षाकृत उच्च और स्थिर रिटर्न प्रदान करता है, जिससे बचत में निरंतर वृद्धि सुनिश्चित होती है।
मांडविया की अध्यक्षता में सीबीटी ने कर्मचारी जमा संबद्ध बीमा (ईडीएलआई) योजना के तहत बीमा लाभ बढ़ाने सहित कई निर्णय लिए।मंत्रालय ने कहा कि सीबीटी ने सेवा के एक वर्ष के भीतर मृत्यु के लिए न्यूनतम लाभ की शुरुआत को मंजूरी दी। मंत्रालय ने बताया कि ऐसे मामलों में जहां ईपीएफ सदस्य की एक वर्ष की निरंतर सेवा पूरी किए बिना मृत्यु हो जाती है, 50,000 रुपये का न्यूनतम जीवन बीमा लाभ प्रदान किया जाएगा।
इन मेंबर्स को भी मिलेगा लाभ
सीबीटी ने उन सदस्यों के लिए भी लाभ को मंजूरी दी है जिनकी मृत्यु सेवा के दौरान गैर-योगदान अवधि के बाद हो जाती है। इससे पहले, ऐसे मामलों में ईडीएलआई लाभ देने से मना कर दिया जाता था, क्योंकि इन्हें सेवा से बाहर माना जाता था। इसमें कहा गया है कि अब यदि किसी सदस्य की मृत्यु उसके अंतिम अंशदान प्राप्त होने के छह महीने के भीतर हो जाती है, तो ईडीएलआई लाभ स्वीकार्य होगा, बशर्ते सदस्य का नाम रोल से हटाया न गया हो।
इस संशोधन से हर साल ऐसी मृत्यु के 14,000 से अधिक मामलों में लाभ मिलने का अनुमान है। सीबीटी ने योजना के तहत सेवा निरंतरता पर विचार करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। इससे पहले, दो प्रतिष्ठानों में रोजगार के बीच एक या दो दिन का अंतराल (जैसे सप्ताहांत या छुट्टियां) होने पर न्यूनतम 2.5 लाख रुपये और अधिकतम सात लाख रुपये के ईडीएलआई लाभ से इनकार कर दिया जाता था, क्योंकि एक वर्ष की निरंतर सेवा की शर्त पूरी नहीं होती थी।