
भारत में हर पांच में से तीन मरीजों को कैंसर का पता चलने के बाद समय से पहले मौत का सामना करना पद रहा है। यह खुलासा नई दिल्ली स्थित भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन रिपोर्ट में किया है जिसे एक अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिका द लासेंट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया में प्रकाशित किया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि लिंग और उम्र के आधार पर कैंसर के रूझान को लेकर यह पहला ऐसा व्यापक विश्लेषण है जिसमें कैंसर मरीजों की समय से पहले मृत्यु दर 64.8 फीसदी तक होने का पता चला है। ग्लोबल कैंसर आब्जरवेटरी नामक रिपोर्ट के अनुमानों का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने यह पाया कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतें खतरनाक रूप से बढ़ रही हैं जो प्रति वर्ष 1.2 से चार फीसदी के बीच है।
महिलाओं में सबसे अधिक स्तन कैंसर के मामले
महिलाओं में कैंसर के नए केस में लगभग 30 प्रतिशत मामले स्तन कैंसर के हैं। इसके बाद गर्भाशय कैंसर के लगभग 19 प्रतिशत मामले हैं। पुरुषों में सबसे अधिक पहचान मुख कैंसर की हुई, जिसके 16 प्रतिशत नए मामले दर्ज किए गए।अनुसंधान दल ने विभिन्न आयु समूहों में कैंसर के प्रसार में भी बदलाव पाया।
वृद्धावस्था (70 वर्ष और उससे अधिक आयु) में कैंसर की सबसे अधिक बीमारी देखी गई। 15 से 49 वर्ष के आयु वर्ग में कैंसर के मामले दूसरे सबसे अधिक पाए गए। कैंसर से संबंधित मौतों के 20 प्रतिशत मामले इसी आयु वर्ग से जुड़े थे।
आईसीएमआर के अध्ययन में पाया गया कि कैंसर की घटनाओं के मामले में भारत, चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है, तथा विश्व में कैंसर से संबंधित मौतों में 10 प्रतिशत से अधिक मौतें भारत में होती हैं, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
शोधकर्ताओं ने यह भी अनुमान लगाया है कि आने वाले दो दशकों में भारत को कैंसर से संबंधित मौतों के प्रबंधन में एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि जनसंख्या की आयु बढ़ने के साथ-साथ कैंसर के मामलों में दो प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि होगी।
टीम ने ग्लोबल कैंसर ऑब्ज़र्वेटरी (ग्लोबोकैन) 2022 और ग्लोबल हेल्थ ऑब्ज़र्वेटरी (जीएचओ) डेटाबेस का उपयोग करके पिछले 20 वर्षों में भारत में विभिन्न आयु समूहों और लिंगों में 36 प्रकार के कैंसर के रुझानों की जांच की।