
टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने मोबाइल नंबरिंग सिस्टम को लेकर नए नियम और सिफ़ारिशें जारी की है। नई योजना का प्राथमिक उद्देश्य दूरसंचार नंबरिंग संसाधनों की उपलब्धता और प्रबंधन से जुड़ी चिंताओं को दूर करना है।
ट्राई ने यह सिफारिश की है कि टेलीकॉम ऑपरेटरों को मोबाइल नंबरिंग संसाधनों पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाना चाहिए। यानी, उपभोक्ताओं को नंबर अलॉट कराने के लिए ज्यादा पैसे नहीं देने पड़ेंगे और टेलीकॉम कंपनियों को भी बिना किसी एक्स्ट्रा चार्ज के नंबर मिलते रहेंगे। इससे उपभोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।
प्राधिकरण ने आगे जोर दिया कि दूरसंचार विभाग को अप्रयुक्त नंबरिंग संसाधनों की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए और कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होने पर उन्हें वापस लेना चाहिए।
नंबरिंग संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ट्राई ने शॉर्ट डिस्टेंस चार्जिंग एरिया मॉडल से लाइसेंस सर्विस एरिया पर आधारित 10-अंकीय बंद नंबरिंग योजना में बदलाव का प्रस्ताव रखा। यह परिवर्तन एसडीसीए प्रणाली के तहत पहले से प्रतिबंधित नंबरिंग संसाधनों को अनलॉक करेगा।
इसके अतिरिक्त ट्राई ने सुझाव दिया कि सभी फिक्स्ड-लाइन कॉल को “0” उपसर्ग के साथ डायल किया जाना चाहिए, उसके बाद एसटीडी कोड और ग्राहक संख्या होनी चाहिए। हालाँकि, फिक्स्ड-टू-मोबाइल, मोबाइल-टू-फिक्स्ड और मोबाइल-टू-मोबाइल कॉल के लिए डायलिंग पैटर्न अपरिवर्तित रहेगा। इस नई नंबरिंग योजना को लागू करने के लिए टेलीकॉम ऑपरेटरों को छह महीने का समय दिया जाएगा।
अनयूज़्ड नंबर वापस लिए जाएंगे
ट्राई ने यह भी सुझाव दिया है कि जो मोबाइल नंबर लंबे समय से इस्तेमाल नहीं हो रहे हैं, उन्हें वापस लिया जाए और जरूरतमंद यूज़र्स को दोबारा आवंटित किया जाए। इससे नंबरों की बर्बादी रुकेगी और नए ग्राहकों को आसानी से नंबर उपलब्ध होंगे।
ट्राई चाहता है कि सरकार कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन प्रणाली को जल्द लागू करे। इस सिस्टम के जरिए, जब कोई आपको कॉल करेगा, तो उसकी स्क्रीन पर उसका नाम दिखेगा, ठीक वैसे ही जैसे Truecaller काम करता है। इससे स्पैम कॉल, साइबर फ्रॉड और फेक कॉल्स पर रोक लगेगी, जिससे लोगों को अनवांटेड कॉल्स से राहत मिलेगी।
नंबर निष्क्रिय करने के नए नियम
ट्राई ने मोबाइल नंबरों की निष्क्रियता को लेकर भी नए दिशानिर्देश दिए हैं:
- कोई भी नंबर 90 दिनों से पहले निष्क्रिय नहीं किया जा सकता
- अगर कोई नंबर 365 दिनों तक इस्तेमाल नहीं किया गया, तो उसे डिएक्टिवेट कर दिया जाएगा
इससे पुराने और बेकार पड़े नंबरों को फिर से इस्तेमाल में लाया जा सकेगा और टेलीकॉम कंपनियों को नए नंबर देने में आसानी होगी।