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तारीखों में देखिए, बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का इतिहास...
आपको बता दें, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी, जिसका मुकदमा आज भी लंबित है।
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उत्‍तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के साथ ही माना जा रहा था कि राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर गरमाएगा। मुद्दा गरम तो जरूर हुआ लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बदौलत। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (19 अप्रैल 2017) को लालकृष्ण आडवाणी समेत 10 नेताओं पर फिर से मामला चलाने का ऑर्डर दिया है। आपको बता दें, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी, जिसका मुकदमा आज भी लंबित है। पढ़ें, अब तक का पूरा घटनाक्रम...

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अयोध्या में एक ऐसे स्थल पर मस्जिद का निर्माण किया गया जिसे हिंदू भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। समझा जाता है कि मुग़ल सम्राट बाबर ने ये मस्जिद बनवाई थी जिस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था।

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1853

हिंदुओं का आरोप है कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। इस मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हुई पहली हिंसा।

1859

ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी।

1885

मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।

23 दिसंबर, 1949

करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया।

16 जनवरी, 1950

गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी। उन्होंने वहां से मूर्ति हटाने पर न्यायिक रोक की भी मांग की।

5 दिसंबर, 1950

महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया। मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया गया।

17 दिसंबर, 1959

निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।

18 दिसंबर, 1961

उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।

1984

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। एक समिति का गठन किया गया।

1 फरवरी, 1986

फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए। नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।

जून 1989

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया।

1 जुलाई, 1989

भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवांं मुकदमा दाखिल किया गया।

9 नवंबर, 1989

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी।

25 सितंबर, 1990

बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे हुए।

नवंबर 1990

आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी. पी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। सिंह ने वाम दलों और बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी। बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

अक्टूबर 1991

उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया।

6 दिसंबर, 1992

हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढाह दिया, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थाई राम मंदिर बनाया गया। प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया।

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16 दिसंबर, 1992

मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए एम. एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।

जनवरी 2002

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था।

अप्रैल 2002

अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।

मार्च-अगस्त 2003

इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की।  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं। मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे।

सितंबर 2003

एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए।

अक्टूबर 2004

आडवाणी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण की बीजेपी की प्रतिबद्धता दोहराई।

जुलाई 2005

संदिग्ध इस्लामी आतंकवादियों ने विस्फोटकों से भरी एक जीप का इस्तेमाल करते हुए विवादित स्थल पर हमला किया। सुरक्षा बलों ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया।

जुलाई 2009

लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

28 सितंबर 2010

सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।

30 सितंबर 2010

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

21 मार्च 2017

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की है। चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष राजी हो तो वो कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं। 

6 अप्रैल 2017

आडवाणी समेत भाजपा नेताओं पर केस चलाने या न चलाने को लेकर फैसला सुरक्षित।

19 अप्रैल 2017

कोर्ट ने फैसला सुनाया, कहा आडवाणी, उमा समेत आरोपी नेताओं पर केस चलेगा।

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