एक हजार से ज्यादा फिल्मों में डायलॉग लिखने और 300 से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग करने वाले कादर खान की तबीयत इस समय काफी खराब है। उन्हें BiPAP वेंटिलेटर पर रखा गया है। उनके प्रशंसक और शुभचिंतक उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं। डायरेक्टर, स्क्रिप्टराइटर, एक्टर, डायलॉग राइटर और बॉलीवुड के सबसे फेमस कॉमेडियन में से एक कादर खान की जिंदगी के ऐसे कई किस्से हैं जिनके बारे में आपमें से कई लोग शायद नहीं जानते होंगे। आज हम उनकी सलामती की प्रार्थना करने के साथ ही आपको उनकी जिंदगी के कुछ खास पहलुओं से भी रू-ब-रू कराएंगे।
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मां की सीख ने दिलाई सफलता
कादर खान
अपनी शानदार कॉमेडी और डायलॉग डिलीवरी से बॉलीवुड पर राज करने वाले कादर खान के दिन बचपन में बहुत गरीबी में बीते थे। बचपन में वह म्यूनिसिपल स्कूल में पढ़े और आगे की पढ़ाई मुंबई के इस्माइल कॉलेज से की। उनकी मां ने एक बार उनसे कहा कि अगर गरीबी को दूर करना चाहते तो पढ़ाई पर ध्यान दो। उन्होंने इस बात को गांठ बांध लिया और पढ़ने के साथ-साथ लिखना भी शुरू कर दिया। इस्माइल कॉलेज से इंजीनियरिंग करने के बाद वह एमएच सैबू सिद्दीकी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर बन ग
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खर्च करने पड़े थे ईनाम में मिले रुपये
कादर खान की उनके पहले ही ड्रामे में एक्टिंग देखकर एक बुजुर्ग ने उन्हें सौ रूपए का नोट दिया था। कुछ साल अपने पास रखने के बाद गरीबी के कारण कादर खान ने इस नोट को खर्च कर दिया जिसे वह एक ट्राफी समझते थे।
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दिलीप कुमार ने दिया फिल्मों में काम
कादर खान के फिल्मी जीवन की शुरुआत भी उनके कॉलेज से हुई। एक बार उन्होंने अपने कॉलेज में एक नाटक में हिस्सा लिया। इसमें उनकी एक्टिंग की काफी तारीफ हुई। दिलीप कुमार को इसके बारे में पता चला और उन्होंने कादर खान को एक्टिंग करने के लिए कहा। दिलीप कुमार भी उनके काम से खुश हुए और उन्हें 'सगीना महतो' और 'बैराग' दो फिल्मों में काम दे दिया।
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अमिताभ से दोस्ती में पड़ी थी दरार
ऐसा कहते हैं कि अमिताभ बच्चन और कादर खान में बहुत अच्छी दोस्ती थी। कादर खान ने अमिताभ के साथ एक्टिंग तो की ही थी उनकी 'अमर अकबर एंथनी', 'सत्ते पे सत्ता', 'मिस्टर नटवरलाल' और 'शराबी' जैसी फिल्मों के डायलॉग लिखे थे जो बॉलीवुड की सफल फिल्मों में शामिल हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब इन दोनों की दोस्ती में दरार आ गई। एक इंटरव्यू में कादर खान ने कहा था- ''जब से वो एमपी (सांसद) बन गया तब से मैं उससे खुश नहीं हूं। दरअसल, ये सियासत ऐसी चीज है, जो इंसान को पूरी तरह बदल देती है। वो जब राजनीति से लौटा तो मेरा अमिताभ नहीं था। कादर खान इस बात से नाराज थे कि अमिताभ ने उन्हें राजनीति में न जाने की बात कही थी लेकिन खुद ही राजनीति ज्वाइन कर ली थी।''
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सामाजिक काम के लिए मिला सम्मान
कादर खान ने मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए कई काम किए। इसके लिए उन्हें एएफएमआई (अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम्स इन इंडिया) ने उन्हें पुरस्कृत भी किया।
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करियर की शुरुआत में बने थे विलेन
अपने करियर की शुरुआत में कादर खान ने फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया। उनकी गिनती बॉलीवुड के फेमस विलेन में होती थी, लेकिन एक दिन एक घटना के बाद उन्होंने फिल्मों में कॉमेडियन का किरदार निभाना शुरू किया। दरअसल, एक दिन उनका बेटा स्कूल में लड़ाई करके घर लौटा। जब उन्होंने पूछा कि लड़ाई क्यों की तो बेटे ने बताया कि स्कूल में सब उसे चिढ़ाते हैं कि उसके पिता बुरे आदमी और विलेन हैं। बेटे की बात सुनकर वे चौंक गए और उसी वक्त तय कर लिया था कि अब वे फिल्मों में अच्छे रोल करेंगे।
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मिले कई पुरस्कार
2013 में, कादर खान को उनके फिल्मों में योगदान के लिए साहित्य शिरोमनी अवार्ड से नवाजा गया। वह 1982 और 1993 में बेस्ट डायलॉग के लिए फिल्म फेयर जीत चुके हैं। उन्हें 1991 को बेस्ट कॉमेडियन का और 2004 में बेस्ट सपोर्टिंग रोल का फिल्म फेयर मिल चुका है। वह 9 बार बेस्ट कॉमेडियन के तौर पर फिल्म फेयर में नामांकित किए जा चुके हैं।