आज विश्व हिंदी दिवस है। देश में अंग्रेजी के बढ़ते चलन और हिंदी की खोती गरिमा को बचाने के लिए ही इस दिवस का आयोजन किया जाता है। हमारे देश के महापुरुषों को ये बात बहुत पहले ही समझ आ गई थी कि हिंदी की महत्ता क्या है और इसे बचाना कितना जरूरी है। देश के महापुरुषों और साहित्यकारों ने हिंदी की तारीफ करते हुए काफी कुछ लिखा है। इस विश्व हिंदी दिवस पर आप भी पढ़िए उनके विचार...
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सुभाष चंद्र बोस
2006 में शुरू हुआ था विश्व हिंदी दिवस
प्रान्तीय ईर्ष्या-द्वेष को दूर करने में जितनी सहायता इस हिंदी प्रचार से मिलेगी, उतनी दूसरी किसी चीज़ से नहीं मिल सकती।
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जस्टिस कृष्णस्वामी अय्यर
सभी भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपी आवश्यक है तो वो देवनागरी ही हो सकती है।
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राहुल सांकृ्त्यायन
हमारी नागरी लिपी दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपी है।
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आचार्य विनोबा भावे
मैं दुनिया की सभी भाषाओं की इज्जत करता हूं पर मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं सह नहीं सकता।
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद
जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य का गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।
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सुमित्रानंदन पंत
हिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोता है।
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महात्मा गांधी
राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।
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सी. राजगोपालाचारी
हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा तो है ही, यही जनतंत्रात्मक भारत में राजभाषा भी होगी।