
नारी के अस्तित्व, उसकी ताकत, हिम्मत, कमजोरी, भावनाओं, त्याग, जिंदगी के हर पहलू पर लोगों ने लिखा है। किसी को महिलाएं दुनिया की तस्वीर बदलने वाली ताकत लगती थीं तो किसी को महिलाओं की स्थिति उस देश का पर्याय लगती थीं। देश - दुनिया के दिग्गजों ने भी उस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पढ़िए उनके ये विचार...
आप किसी देश की स्थिति उसमें मौजूद महिलाओं की हालत से समझ सकते हैं।
- जवाहर लाल नेहरू

आदमी औरतों को अपनी संपत्ति समझता है। उसे लगता है कि महिलाओं में उसमें कोई भावना नहीं है। पुरुष महिलाओं से बहुत बुरी तरह पेश आते हैं। जितनी बुरी तरह जमींदार अपने नौकर से ऊंची जाति वाले नीची जाति से, उससे भी बुरी तरह। पुरुष महिलाओं से बुरा व्यवहार पैदा होने से मरने तक करते हैं। इस बुरे व्यवहार का असर दोनों पर पड़ता है।
- पेरियार

औरतों को कमजोर कहना पुरुषों को महिलाओं के प्रति अन्याय है अगर आंतरिक ताकत की बात की जाए तो औरतें आदमियों से कई गुना ताकतवर हैं।
- महात्मा गांधी

वर्तमान युग के पुरुष ने स्त्री के वास्तविक रूप को न कभी देखा था, न वह उसकी कल्पना कर सका। उसके विचार में स्त्री के परिचय का आदि अंत इससे अधिक और क्या हो सकता था कि वह किसी की पत्नी है। कहना न होगा कि इस धारणा ने ही असंतोष को जन्म देकर पाला और पालती जा रही है।
-महादेवी वर्मा

सबसे बुरी बात ये है कि महिलाओं को ज्यादातर अकेले, घर के सारे गंदे काम करने के भर तक ही रखा जाता है। ये सारे काम गैरजरूरी, मुश्किल और आत्मा को खत्म करने वाले हैं।
-ब्लादिमिर लेनिन
