
विश्व के महान भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग के 76 साल की उम्र में निधन हो गया। अल्बर्ट आइंसटीन के बाद उनकी गिनती सबसे बड़े भौतिकशास्त्रियों में होती है। 8 जनवरी 1942 को ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड में जन्मे स्टीफन का परिवार शुरुआत में तो लंदन में रहता था लेकिन बाद में वे सेंट एल्बेंस शिफ्ट हो गए।
सात साल की उम्र में उन्होंने सेंट एल्बेंस स्कूल में पढ़ाई शुरू की। आश्चर्य की बात ये है कि महान ब्रह्मांड विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग स्कूल में अच्छे विद्यार्थी नहीं थे। उनके औसत नंबर भी नहीं आते थे। हालांकि उनकी गणित में गहरी रुचि थी। 1952 में वह ऑक्सफोर्ड के यूनिवर्सिटी कॉलेज गए( यहीं उनके पिता ने भी पढ़ाई की थी। स्टीफन हॉकिंग गणित की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन उनके पिता उन्हें मेडिसिन की पढ़ाई करवाना चाहते थे। ऑक्सफोर्ड के यूनिवर्सिटी कॉलेज में गणित न होने के कारण उन्होंने भौतिकी की पढ़ाई शुरू की।

अक्टूबर 1962 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज में कॉस्मोलॉजी में रिसर्च शुरू की। उस वक्त ऐसा करने वाले वह पहले व्यक्ति थे। 1965 में उन्होंने पीएचडी पूरी की। 1965 में वह रिसर्च फेलो बने, 1969 में फेलो फॉर डिस्टिंक्शन इन साइंस बने।

स्टीफन ने दुनिया को कई अंतरिक्ष सिद्धांत दिए। उन्होंने हॉकिंग रेडिएशन, पेनरोज-हॉकिंग theorems, बीकेंस्टीन-हॉकिंग फॉर्मूला दिया। हॉकिंग एनर्जी, गिब्सन-हॉकिंग स्पेस और गिब्सन हॉकिंग इफेक्ट उनके अहम सिद्धांत थे। ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में उन्होंने अहम योगदान दिया है। उनके पास 12 मानद डिग्रियां हैं और अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान उन्हें दिया गया। 1974 में ब्लैक हॉल्स पर किए गए उनके रिसर्च ने इस पर आधारित थ्योरी को ही मोड़ दिया था। उनकी ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ किताब दुनियाभर में बेहद पसंद की गई थी। इसके अलावा इनकी किताबें द ग्रांड डिजाइन, यूनिवर्स इन नटशेल, माई ब्रीफ हिस्ट्री, द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग भी बेहद पॉपुलर हैं।

स्टीफन हॉकिंग को मोटर न्यूरोन की बीमारी थी, जो उन्हें 1963 में 21 साल की उम्र में हुई थी। उस वक्त डॉक्टरों ने उन्हों कहा था कि वे सिर्फ 2 या 3 साल ही जी पाएंगे लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से उन्होंने इस बीमारी को हरा दिया। उनकी बीमारी को डॉक्टरों ने Amyotrophic Lateral Sclerosis (ALS) बताया था। इस बीमारी में शरीर के सारे अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं और मरीज़ की मौत हो जाती है और स्टीफन के साथ यही हुआ भी दिमाग को छोड़कर उनके सारे अंगों ने काम करना छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

स्टीफन हॉकिंग के शरीर की सभी मांसपेशियों से उनका नियंत्रण खो गया। उनका कोई भी अंग काम नहीं करता था। अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मैं अपने गाल की मांसपेशी के जरिए, अपने चश्मे पर लगे सेंसर को कम्प्यूटर से जोड़कर ही बातचीत करता हूं। इसके बावजूद स्टीफन हॉकिंग ने इस बीमारी से लड़ते हुए बड़े-बड़े वैज्ञानिक खोज किए और ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने में महत्वपूर्ण योगदान दिय।

1965 में उनकी दोस्त जेन हॉकिंग से उन्होंने शादी की। उस वक्त जेन को स्टीफन की बीमारी के बारे में पता था लेकिन जेन ने उनका साथ नहीं छोड़ा। हालांकि 30 साल साथ रहने के बाद 1995 में दोनों का तलाक़ हो गया।

अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त तक वह पढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी जाते रहे। स्टीफन हॉकिंग मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के सेंटर फॉर थियोरेटिकल कॉस्मोलॉजी के रिसर्च विभाग के डायरेक्टर थे।
