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जानिए शशि कपूर से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें
आखिर राज कपूर क्यों कहते थे शशि कपूर को 'टैक्सी'
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वक्त हमेशा अपनी तस्वीर बदलता रहता है इसलिए तो कभी 75 रुपये की मासिक सैलरी शानदार सैलरी हुआ करती थी। हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के शानदार अभिनेता शशि कपूर की। महज 15 साल की उम्र में शशि को उनके पिता ने पृथ्वी थिएटर में नौकरी दे दी, तन्ख्वाह थी 75 रुपये महीना। वक्त था 1953 का, उस वक्त की ये शानदार सैलरी थी। आज हम आपको इस महान अभिनेता के बारे में कुछ ऐसे किस्से बताएंगे जिसे शायद आप नहीं जानते हों। 

11:38 AM 6 Dec, 2017

शशि कपूर का सिर बचपन से बड़ा था

शशि कपूर का सिर बचपन से बड़ा था लिहाजा उनकी मां को उन्हें जन्म देने में खासी तकलीफ का सामना करना पड़ा था और उस वक्त घर की माली हालात ऐसी नहीं थी कि उन्हें अस्पताल ले जाया जाए। उनके बड़े सिर के चलते ही उनकी मां ने बचपन से बेटे के बाल को घुंघराले रखने शुरू किए थे, ताकि बड़ा माथा ज्यादा दिखे नहीं। शशि कपूरी को बचपन में चांद देखने का बड़ा शौक था जिस वजह से उनका नाम बलबीर राज कपुर के बदले शशि कपूर रख दिया गया। हालांकि बलबीर नाम शशि कपूर की मां को भी पसंद नहीं था। इसलिए नाम बदलने में उनकी मां का बड़ा हाथ था।

11:38 AM 6 Dec, 2017
कोलकाता से मुंबई का सफर

उस वक्त का कलकत्ता में 18 मार्च, 1938 को शशि कपूर का जन्म हुआ था। उस दौर में शशि कपूर के पिता न्यू थिएटर में काम किया करते थे। इससे जो कुछ भी मिल जाता था उससे परिवार चलता था। लेकिन शशि कपूर के जन्म के अगले साल ही पूरा परिवार मुंबई आ गया। 6 साल के जब शशि हुए तो उनका नाम मुंबई के डॉन बास्को स्कूल में लिखाया गया, शुरुआती दिनों में शशि कपूर फारुख इंजीनियर के साथ एक ही बेंच पर बैठते थे, बाद में यही इंजीनियर भारत के मशहूर क्रिकेटर बने और शशि कपूर महान अभिनेता।

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11:38 AM 6 Dec, 2017

क्लास बंक करने के आदी थे शशि

शशि कपूर को तो एक्टिंग विरासत में मिली थी इसलिए उनके अंदर भी एक्टिंग को लेकर जबरदस्त दिवानगी थी। इसलिए वो आखिरी के दो क्लास बंक कर के एक्टिंग सीखने के लिए रॉयल ऑपेरा हाउस चले जाते थे, वहीं उनके साथी फारुख इंजीनियर का भी यही हाल था दोनों एक साथ ही क्लास बंक करते थे। इंजीनियर क्लास बंक मार कर क्रिकेट की अकादमी जाते थे। 

11:39 AM 6 Dec, 2017
बाल कलाकार के रूप में की फिल्म में एंट्री

वक्त 1948 का था हर तरफ आजादी का जश्न था वहीं शशि कपूर भी 9 साल के हो चुके थे। इसी उम्र में उन्होंने अपना फिल्मी सफर शुरू कर दिया। 1948 में फिल्म 'आग' से उन्होंने बाल कलाकार के रूप में फिल्म करना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने पीछ मुड़ कर नहीं देखा और फिल्म 'आवारा' में राजकपूर के बचपन के किरदार ने उन्हें इतना मशहूर किया कि उनका मन पढ़ाई से उचट गया। उन्होंने अपने पढ़ाई के बारे में एक बार बताया कि "मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं था और पास नहीं हुआ। जब मैं मैट्रिक में फेल हुआ तो किसी ने मुझे डांटा नहीं। मैंने अपने पिता को कहा कि मैं कॉलेज कैंटीन में बैठकर आपके पैसे बर्बाद करना नहीं चाहता।"

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पिता ने अपने थियेटर में दी नौकरी

मजह 15 साल की उम्र में शशि कपूर ने नौकरी करना शुरू कर दिया और पहली नौकरी अपने पिता यानि पृथ्वी राजकपूर के थियेटर में लगी। इसके बाद 3 साल के भीतर वे 'शेक्सपियराना' से भी जुड़ गए। ये एक खानाबदोश थिएटर था जिसे शशि के ससुर जेओफ्रे कैंडलर चलाया करते थे। 18 साल की उम्र में शशि जेनिफर से पहली बार मिले। मिलते ही दोनों को एक दूसरे से मोहब्बत हो गई। मोहब्बत इस कदर परवान चढ़ी की 20 साल की उम्र में ही उन्होंने शादी कर ली। वो दौर था 1950 का। 

11:39 AM 6 Dec, 2017
शशि कपूर का अलग था अंदाज, किसी की नकल नहीं करते थे

कपूर खानदान के कई नगीनों में से एक शशि कपूर की अभिनय शैली भी बाकी लोगों से अलग थी। उन्होंने किसी की नकल नहीं की। तीनों भाइयों की अपनी अभिनय शैली थी। यहां तक की उन पर पृथ्वीराज कपूर के अभिनय का प्रभाव भी नहीं था। 

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11:39 AM 6 Dec, 2017

अंग्रेजी फिल्मों में भी शशि कपूर का दिखा अभिनय

शशि कपूर के मर्चेंट और जेम्स आइवरी दोस्त थे। इन्होंने अपनी फिल्म के लिए शशि कपूर को लिया लेकिन शशि ने इनसे 20 फीसदी ही राशि ली। ताकि वे कलात्मक फिल्में बना सकें। निर्देशक दोस्तों ने कई फिल्में बनाई हैं, जिसके नायक शशि कपूर हैं। शशि कपूर एकमात्र भारतीय अभिनेता हैं जिन्होंने 1 दर्जन अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्मों में काम किया है।

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11:40 AM 6 Dec, 2017
राजकपूर शशि कपूर को 'टैक्सी' कहते थे

जैसे टैक्सी में एक मुसाफिर बैठता है फिर मीटर डाउन होता है, एक मुसाफिर उतरता है फिर दूसरा मुसाफिर बैठता है और मीटर डाउन होता है। इसी तर्ज पर शशि कपूर सुबह 8 बजे घर से निकलते और लगातार अलग-अलग स्टूडियों में अलग-अलग फिल्मों की शूटिंग किया करते थे। रात के 2 बजे तक काम करके वह घर लौटते थे। जिसके कारण राजकपूर ने उन्हें टैक्सी एक्टर कहकर पुकारा करते थे।

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11:40 AM 6 Dec, 2017

मेहनत के पैसों से बनाई समाजिक सरोकार की फिल्में

सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी मेहनत करके शशि कपूर ने जो पैसा कमाया, उसका न तो वो 100 एकड़ का फार्म हाउस खरीदा, न ही 10-12 बंगले खरीदे, न ही कोई डिपार्टमेंटल स्टोर बनाया बल्कि उन पैसों से श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, गिरीश कर्नाड जैसे निर्देशकों के साथ मिलकर सामाजिक सरोकार की फिल्में बनाईं। इसका उदाहरण है  '36 चौरंगी लेन' फिल्म। इस फिल्म को बनने में 40 लाख का खर्च आ रहा था लेकिन बजट सिर्फ 20 लाख का था। ऐसे में शशि कपूर ने जी खोलकर अपने फिल्म निर्माण पर पैसा खर्च किया।

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