
कई दशकों तक भारतीय राजनैतिक पटल पर छाये रहने के बाद अपने स्वास्थ्यजनित शारीरिक अक्षमता के कारण वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में आप ओझल हो गए। भारत को सफल नेतृत्व देने वाले प्रधानमंत्रियों में शूमार अटल बिहारी वाजपेयी को उनके जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं, हम उनके स्वास्थ्य और दीर्धायु की कामना करते हैं।
जन्म और शिक्षा
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1925 को एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार के एक साधारण अध्यापक पं. कृष्ण बिहारी के घर हुआ। पिता पं. कृष्ण बिहारी के चार पुत्र अवध बिहारी, सदा बिहारी, प्रेम बिहारी, अटल बिहारी और तीन पुत्रियां विमला, कमला, उर्मिला हुईं। वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई। उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर की। अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया।
अटल बिहारी वाजपेयी और उनके पिता पं. कृष्ण बिहारी दोनों ने कानून की पढ़ाई एक साथ पूरी की। दरअसल कुछ हुआ ऐसा कि जब अटलजी कानून पढ़ने डी.ए.वी.कॅलेज, कानपुर आना चाहते थे, तो उनके पिताजी ने कहा, मैं भी तुम्हारे साथ कानून की पढ़ाई शुरू करूंगा। वे तब राजकीय सेवा से निवृत्त हो चुके थे। इसलिए पिता-पुत्र दोनों साथ-साथ कानपुर आए। दोनों का प्रवेश एक ही सेक्शन में हो गया। जिस दिन अटलजी कक्षा में न आएं, प्राध्यापक महोदय उनके पिताजी से पूछते, आपके पुत्र कहां हैं? और जिस दिन पिताजी कक्षा में न हों, उस दिन अटलजी से वही प्रश्न 'आपके पिताजी कहां हैं?' छात्रावास में ये पिता-पुत्र दोनों साथ ही एक ही कमरे में छात्र-रूप में रहते थे।
जाना पड़ा जेल
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान के चलते अटल बिहारी वाजपेयी 1942 में जेल गए।

अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य और सन 1951 में गठित राजनैतिक दल 'भारतीय जनसंघ' के संस्थापक सदस्य रहे।
पहली बार लोकसभा पहुंचे
1957 में जन संघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। लखनऊ में वो चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी जमानत जब्त हो गई लेकिन बलरामपुर से चुनाव जीतकर वो दूसरी लोकसभा में पहुंचे। अगले पांच दशकों के उनके संसदीय करियर की यह शुरुआत थी।
1977 में जनता पार्टी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया और वो इसे अपने जीवन का अब तक का सबसे सुखद क्षण बताते हैं। सन 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे। 1980 से 1986 तक वो भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे और इस दौरान वो भाजपा संसदीय दल के नेता भी रहे।
सांसद का सफर
अटल बिहारी वाजपेयी अब तक नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं। दूसरी लोकसभा से तेरहवीं लोकसभा तक। बीच में कुछ लोकसभाओं से उनकी अनुपस्थिति रही। खासतौर से 1984 में जब वो ग्वालियर में कांग्रेस के माधवराव सिंधिया के हाथों पराजित हो गए थे। 1962 से 1967 और 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
पहली बार बने भारत के प्रधानमंत्री
11वीं लोकसभा में लखनऊ से सांसद के रूप में विजयी हुए, 16 मई 1996 को वो पहली बार प्रधानमंत्री बने। लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 31 मई 1996 को उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। इसके बाद 1998 तक वो लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे।
1998 के आमचुनावों में सहयोगी पार्टियों के साथ उन्होंने लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। लेकिन एआईएडीएमके द्वारा गठबंधन से समर्थन वापस ले लेने के बाद उनकी सरकार सिर्फ 13 दिन में ही गिर गई और एक बार फिर आम चुनाव हुए।
तीसरी बार प्रधानमंत्री
1999 में हुए चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साझा घोषणापत्र पर लड़े गए और इन चुनावों में वाजपेयी के नेतृत्व को एक प्रमुख मुद्दा बनाया गय। गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ और वाजपेयी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। 13 अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे।
कई दशकों तक भारतीय राजनैतिक पटल पर छाये रहने के बाद अपने स्वास्थ्यजनित शारीरिक अक्षमता के कारण वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में आप ओझल हो गए। भारत को सफल नेतृत्व देने वाले प्रधानमंत्रियों में शूमार अटल बिहारी वाजपेयी को उनके जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं, हम उनके स्वास्थ्य और दीर्धायु की कामना करते हैं।