5 सितंबर यानि शिक्षक दिवस भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है। शिक्षक से भारत के राष्ट्रपति तक का पद संभालने वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की आज 132वीं जयंती है और आज के दिन हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से बताते हैं, जिनके बारे में कम ही जानते होंगे।
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5 सितंबर 1888 को हुआ था जन्म
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को बेहद ही साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता चाहते थे कि बेटा अंग्रेजी की पढ़ाई न करें बल्कि मंदिर का पुजारी बने। लेकिन राधाकृष्णन का मन शुरु से ही पढ़ाई में लगता था और उन्होंने अपनी अनवरत पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज में फिलॉसफी (दर्शनशास्त्र) की पढ़ाई की। जब वह पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्होंने अपनी प्रतिभा से सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। उनकी प्रतिभा को देखते हुए शिकागो यूनिवर्सिटी ने उन्हें तुलनात्मक धर्मशास्त्र पर भाषण देने के लिए आमंत्रित किया था। वह पढ़ाई में भले ही तेज थे, लेकिन बचपन में उन्हें मुफलिसी का सामना करना पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र की पढ़ाई अपनी मर्जी से नहीं की थी बल्कि गरीबी ने उन्हें दर्शनशास्त्र की पढ़ाई के लिए मजबूर किया। उन्हें दर्शनशास्त्र की किताबें पढ़ने के लिए उनके चचेरे भाई ने दी थी।
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बीएचयू के रहे वाइस चांसलर
परिवार के साथ डॉ राधाकृष्णन
भारत के एक बार राष्ट्रपति और दो बार उपराष्ट्रपति के पद रहे सर्वपल्ली राधाकृष्णन बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के वर्ष 1939 से 1948 तक वाइस चांसलर भी रहे। 20वीं सदी में भारत के सबसे प्रभावशाली विद्वानों में से एक रहे डॉ राधाकृष्णन राधाकृष्णन मैसूर (1918-21), कोलकाता (1921-31, 1937-41) यूनिवर्सिटी में फिलॉसफी के प्रोफेसर रहे थे। आज उनकी 132वीं जयंती मनाई जा रही है।
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1949 में सोवियत संघ के बने राजदूत
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1949 से 1952 तक सोवियत संघ के राजदूत रहे। वह 1952 से 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति पद पर रहे। देश के लिए बेहतर कार्य करने पर उन्हें 1954 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1962 में वह देश के दूसरे राष्ट्रपति बने। वह इस पद पर 1967 तक रहे। जब वह राष्ट्रपति बने तब मशहूर दार्शनिक बर्टेंड रसेल ने कहा था कि 'दर्शनशास्त्र के लिए बड़े गर्व की बात है कि डॉ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने हैं और एक दार्शनिक के रूप में मुझे इसकी खास खुशी हो रही है।’
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इतनी बार नोबेल पुरस्कार के लिए हुए नॉमिनेट
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारत में प्रोफेसर रहने के साथ ही ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (1936-52) में भी प्रोफेसर रहे। उनकी योग्यता को देखते हुए सरकार ने उन्हें आंध्र यूनिवर्सिटी, बीएचयू और दिल्ली यूनिवर्सिटी में कुलपति की जिम्मेदारी दी गई। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ऐसे विद्यान रहे, जिनको 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था। उन्हें 16 बार लिटरेचर और 11 बार नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया था।
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जन्मदिन मनाने के लिए यह कहा था
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जब राष्ट्रपति थे, तब उनका जन्मदिन मनाने के लिए लोगों ने उनसे इजाजत मांगी। उन्होंने अपना जन्मदिन मनाने से मना कर दिया। उन्होने कहा कि अगर आप सम्मान करना ही चाहते हैं, पूरे देश के शिक्षकों का करें। शिक्षकों के प्रति उनका सम्मान ही था, कि आज उनके जन्मदिन पर पूरे देश में शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है और उनका शिष्य आदर करते हैं। डॉ. राधाकृष्णन हमेशा कहते थे कि पढ़ाई में अच्छे लोगों को हमेशा शिक्षक बनना चाहिए। शिक्षकों के प्रति उनका सम्मान ही था कि पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
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1962 से हुई शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत
जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति रहे। भारत के दूसरे राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य उन्हें मिला। सर्वपल्ली को 1931 में नाइटहुड की उपाधि मिली। बता दें शिक्षक दिवस के रूप में उनका जन्मदिन 1962 से मनाया जा रहा है। हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर हर शिष्य अपने गुरू को याद करता है, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित करते हैं।
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गूगल कर रहा सम्मान
गूगल का डूडल
शिक्षक दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति का मनाए जाने वाले जन्मदिन को गूगल भी सेलीब्रेट कर रहा है। आज गूगल डूडल के जरिए सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन सेलीब्रेट कर रहा है। बता दें उनका जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस आज मनाया जा रहा है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी रहे।
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सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रसिद्ध वचन
सर्वपल्ली राधाकृष्णन
1. शिक्षक वह नहीं है जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए सही तरीके से तैयार करें।
2. समाज में भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं।
3. दुनिया के सभी संगठन अप्रभावी हो जाएंगे यदि यह सत्य हो जाएं कि ज्ञान अज्ञान से शक्तिशाली होता है उन्हें प्रेरित नहीं करता।।
4. कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती, जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो। किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए।
5. शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अत: हमें विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए।
6. शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति तक होना चाहिए, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।
7. पुस्तकें वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।
8. किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।