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जेट एयरवेज: ट्रेवल एजेंसी से एयरलाइन्स बनने का सफर
कभी देश की सबसे बड़ी निजी विमान सेवा कंपनी रही जेट एयरवेज ने 16 अप्रैल को भरी आखिरी उड़ान।
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कभी ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल करने वाली भारत की सबसे बड़ी निजी विमान सेवा जेट एयरवेज अब इतिहास बनने जा रही है। सबसे बुरा दौर झेल रही यह विमान सेवा दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी है। जेट एयरवेज पर विभिन्न बैंकों का करीब 8500 करोड़ रूपये बकाया है। जिसे यह विमान कंपनी चुका नहीं पा रही है। अन्य सस्ती विमान कंपनियों से मिल रही कड़ी टक्कर से जेट एयरवेज उबर नहीं पाई और गंभीर घाटे में चली गई। सरकार की ओर से इसको वित्तीय मदद पर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। जेट एयरवेज ने अपनी उड़ानें बंद कर दी हैं। बुधवार रात अमृतसर से मुंबई उसकी आखिरी फ्लाइट थी।

  • 1992 में हुई थी स्थापना

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    मुंबई से अहमदाबाद तक एयर टैक्सी ऑपरेटर के तौर पर शुरुआत

    जेट एयरवेज की स्थापना वर्ष 1992 में की गई थी। इसकी शुरुआत 5 मई 1993 को मुंबई से अहमदाबाद तक एयर टैक्सी ऑपरेटर के तौर पर हुई थी। पांच महीने पहले तक जेट एयरवेज के पास 124 एयरक्राफ्ट थे। जिसमें एयरबस ए330, बोइंग 777 व सिंगल बी737 व अन्य एयरक्राफ्ट शामिल थे। जेट को 14 जनवरी, 1995 को शेड्यूल्ड एयरलाइन का दर्जा मिला था, इसकी पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान वर्ष 2004 में दिल्ली से काठमांडू के लिए थी।

  • एक समय था जलवा

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    एक समय बेड़े में शामिल थे 124 विमान, 52 शहरों के लिए थीं उड़ानें

    यह एयरलाइंस कंपनी एक समय रोजाना करीब 600 फ्लाइट्स ऑपरेट कर रही थी। यह इतने ज्यादा फायदा में जा रही थी। इसने वर्ष 2007 में सुब्रत राय सहारा की एयरलाइंस एयर सहारा को खरीद लिया था। जेट ने इसे जेटलाइन का नाम दिया था। एक साल बाद इसका जेट एयरवेज में विलय कर दिया गया। वर्ष 2009 ने सस्ती सेवाओं का विस्तार करते हुए एक जेट कनेक्ट नाम से कम शुल्क वाली सेवा लॉन्च की थी। जिसके चलते वर्ष 2010 में यह एक नंबर की एयरलाइन बन गई थी। कंपनी के पास एक समय 23,000 कर्मचारियों के साथ 124 विमानों का बेड़ा था। कंपनी देश-विदेश के 52 शहरों के लिए उड़ान सेवा दे रही थी।

  • ऐसे देखे बुरे दिन

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    किंग फिशर एयरलाइन्स के बंद होने के बाद दूसरी कंपनी भी हुई बंद

    भारत में इससे पहले व्यवसायी विजय माल्य की निजी विमान सेवा किंगफिशर एयरलाइन्स भी बंद हो चुकी है। एक समय जेट एयरवेट देश की सबसे प्रमुख विमान सेवा कंपनी थी। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के मामले में जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी थी। एक समय जेट एयरवेज के पास सबसे ज्यादा एयरक्राफ्ट थे। कंपनी ने 18 अप्रैल 2019 को केवल पांच विमानों के साथ परिचालन किया। जेट एयरवेज पहले ही अपने अंतरराष्ट्रीय परिचालन को 18 अप्रैल तक स्थगित करने की घोषणा कर चुकी थी। हालांकि वित्त वर्ष 2017-18 में जेट एयरवेज 252 अरब डॉलर के राजस्व के साथ 6.3 अरब डॉलर के लाभ में थी, स्थितियां उसके बाद बिगड़नी शुरू हुईं।

  • दोबारा नहीं मिला संभलने का मौका

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    15 अप्रैल को जेट एयरवेज के चेरयमैन नरेश गोयल ने दिया इस्तीफा

    सस्ती विमान सेवाओं की होड़ शुरू होने के बाद वर्ष 2012 में जेट एयरवेज इस सेवा में दूसरे स्थान पर पहुंच गई थी। इसी के चलते वर्ष 2013 के आखिर में कंपनी को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एयरलाइन एतिहाद एयरवेज में अपनी 24 फीसदी इक्विटी बेचनी पड़ी थी। अक्टूबर, 2017 में जेट एयरवेज देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन्स की श्रेणी में आ गई थी। 15 अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज के चेरयमैन नरेश गोयल और उनकी पत्‍नी ने कंपनी के निदेशक मंडल से इस्‍तीफा दे दिया था।

  • तंगहाली में गुजरा नरेश का बचपन

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    300 रुपये में एक ट्रेवल एजेंसी में काम करते थे चेयरमैन नरेश गोयल

    कंपनी के चेयरमैन नरेश गोयल की कहानी भी बड़ी रोचक है। उनका जन्म 29 जुलाई 1949 में पंजाब के संगरूर में हुआ था। छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। उनका परिवार आर्थिक संकट से गुजरा रहा था और घर भी नीलाम हो गया। इसके बाद नरेश अपनी मां के साथ नाना-नानी के घर आ गए। उन्होंने पटियाला के बिकराम कॉलेज से स्नातक किया था। वर्ष 1967 में वह दिल्ली के कनॉट प्लेट में एक ट्रेवल एजेंसी में काम करते थे। जिसके लिए उन्हें 300 रुपये मिलते थे। बाद में छह साल बाद उन्होंने अपनी खुद की एजेंसी खोल ली, जिसका नाम जेट एयर रखा।

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