ये डिवाइस नहीं जाने देगी आपके आंखों की रोशनी

वैसे मानव शरीर में सभी अंग एक दूसरे के पूरक हैं लेकिन पूरे शरीर में आंख किसी अनमोल रत्न से कम नहीं है. बिना आंख मानव जीवन सबसे कठिन है, इसलिए आंखों का इलाज भी सही से होना चाहिए. क्योंकि एक भी गलत इंजेक्शन आपको अंधेरे की ओर धकेल देता है। लेकिन वैज्ञानिकों व डॉक्टरों ने अब इसका तोड़ निकाल लिया है। नई दुनिया के मुताबिक नोएडा के एक नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजय अरोड़ा ने इस फिक्सेशन एंड इंट्राविट्रिएल इंजेक्शन गाइड फिग नामक एक डिवाइस तैयार की।
पेटेंट होगी डिवाइस
इस डिवाइस की मदद से आंखों में सही जगह पर इंजेक्शन लगाया जा सकता है। जिससे रेटिना या लेंस को कोई नुकसान नहीं होगा। ऑल इंडिया ऑप्थैल्मिक सोसायटी, विट्रियो रेटिना सोसायटी ऑफ इंडिया व दिल्ली ऑप्थैल्मिक सोसायटी जैसे बड़े नेत्र संगठनों के सामने प्रस्तुतीकरण में सराहना मिलने व मुहर लगाए जाने के बाद इस डिवाइस को पेटेंट के लिए भेज दिया गया है।
चूकने पर आंख में जख्म हो जाता है
डॉ अरोड़ा के मुताबिक देश में हर दिन एज रिलेटेड मैकुला डिजेनरेशन (एमडी) व रेटिना की कई समस्याओं की वजह से आंख में इंजेक्शन लगाए जाते हैं। जिसकी वजह से आंख में खून आ जाता है। पूरे देश में पांच से सात हजार लोगों को ऐसे इंजेक्शन लगाए जाते हैं। ऐसे में इस इंजेक्शन को आंख में बड़ी सावधानी से लगाना होता है। क्योंकि चूकने पर आंख के आगे के लेंस या रेटिना में जख्म हो सकता है।
डिवाइस की कीमत पांच से सात हजार
देश में सिर्फ 750 रेटिना विशेषज्ञ हैं, जिनमें से 400 ही सर्जन हैं। जिन्हें ही ये इंजेक्शन लगाने की अनुमति है। ऐसे में ये संभव नहीं है कि सर्जन ही सभी को इंजेक्शन लगा पाए। लेकिन डॉक्टरों की कमी की वजह से मरीजों की आंखों की रोशनी जाने का खतरा बना रहता है। लेकिन अब इस डिवाइस की मदद सभी तरह के डॉक्टर ये इंजेक्शन लगा सकते हैं। इस डिवाइस की कीमत पांच से सात हजार रुपए तक है।
काम का मिल चुका है इनाम
डॉ. अरोड़ा को रेटिना की थिकनेस नापने का तरीका खोजने के लिए सार्क देशों ने 1998-99 के दौरान बेस्ट रेटिना पेपर अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें 2012 में ऑल इंडिया बेस्ट रेटिना पेपर अवॉर्ड मिला था। साथ ही 2015 में दुनिया का पहला लाइफटाइम ट्रोका सिस्टम बनाने के लिए ब्रिटिश मेडिकल जनरल से सम्मान मिल चुका है।
साभार: दैनिक जागरण
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