तेलंगाना के सिद्धार्थ ने बनाई रेप रोकने की डिवाइस

दिल्ली में वर्ष 2012 में हुए निर्भया कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, लेकिन इसकी गहरी चोट तेलंगाना कि सिद्धार्थ मंडल के मन मस्तिष्क पर भी पड़ी थी। सिद्धार्थ का इस कांड का इतना प्रभाव पड़ा कि उन्होंने एक ऐसी डिवाईस बना डाली, जिससे रेप को रोका जा सकता है।
सिद्धार्थ ने डिवाइस इंटरनेट पर काफी रिसर्च और अपने दोस्त की मदद से तैयार की है। इस डिवाईस की मदद से चप्पल में एक ऐसा सिस्टम फिट किया जाता है, जिससे खतरे की हालत में पुलिस और घरवालों को मदद के लिए तुरंत सूचना पहुंचाई जा सकती है और सर्किट बोर्ड की मदद से डिवाईस चलते कदमों से खुद ही चार्ज हो जाती है।
चप्पल में फिट किया अनोखा सिस्टम
निर्भया कांड से सिद्धार्थ इतना प्रभावित हुआ, कि रेप को रोकने के तरीके खोजने लगा। सिद्धार्थ ने इंटरनेट पर काफी रिसर्च की और अपने साथी अभिषेक की मदद से एक ऐसी डिवाइस तैयार की जो रेप होने से बचा सकती है। उन्होंने चप्पल में एक ऐसा सिस्टम फिट किया, जिससे अनहोनी की हालत में आने पर पुलिस और घरवालों को मदद के लिए तुरंत सूचना पहुंचाई जा सके।
इसे बनाने के लिए सिद्धार्थ ने एक ऐसा सर्किट बोर्ड तैयार किया है जो चलने पर कदमों के साथ खुद ही चार्ज हो जाता है। इसे पहनने वाला जितना चलेगा यह डिवाइस उतनी ही चार्ज होती जाएगी। इसमें एक रीचार्जेबल बैटरी लगी है। हालांकि इसे बनाना इतना आसान भी नहीं था। इसमें काफी मुश्किलें आईं।
काफी समस्याओं से होना पड़ा रूबरू
सिद्धार्थ बताते हैं कि बनाने के दौरान अनगिनत समस्याएं झेलनी पड़ती थीं। कई बार तो दोस्तों ने मदद करना बंद कर दिया। प्रोटोटाइप ही 17 बार फेल हो गया। इतना ही नहीं कई बार करेंट भी झेलना पड़ा।
एक बार तो उनके दोस्त अभिषेक की नाक से खून तक निकलने लगा। लेकिन सिद्धार्थ ने हार नहीं मानी। जितने बार उन्हें निराशा मिलती उतने बार वह अपने पसंदीदा वैज्ञानिक थॉमस एडिसन के बारे में सोचते जिन्होंने बिजली के बल्ब का अविष्कार करने में 1000 बार से ज्यादा असफलता का सामना किया था।
वह लगे रहे और दो साल में एक ऐसा प्रोटोटाइप तैयार किया जो सही से काम करता है। आखिरकार सिद्धार्थ की मेहनत रंग लाई। सिद्धार्थ के प्रयास से खुश होकर तेलंगाना के शिक्षा मंत्री कादियम श्रीहरि ने उनकी तारीफ की और एक प्रशस्ति पत्र भी दिया।
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