आठवीं फेल इस 'हैकर' के बिना नहीं चलता CBI, रिलायंस जैसों का काम

अगर आपको कम्प्यूटर और इंटरनेट में दिलचस्पी है तो, पता होगा कि हैकिंग की वजह से बड़ी कंपनियों को कभी-कभी बड़े नुकसान झेलने पड़ जाते हैं। इसलिए एंटी हैकिंग यह कह लें 'एथिकल हैकर' का जन्म हुआ। ऐसे ही एक एथिकल हैकर की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं।
2 नवम्बर 1993 को लुधियाना (पंजाब) में जन्मे त्रिशनित अरोड़ा इस समय रिलायंस, सीबीआई, पंजाब पुलिस, गुजरात पुलिस, अमूल और एवन साइकिल जैसी कंपनियों के आंख का तारा बने हुए हैं। त्रिशनित दइन कंपिनयों को साइबर से जुड़ी सर्विसेज दे रहे हैं।
ऐसे एथिकल हैकर बने त्रिशनित
त्रिशनित को बचपन से ही कम्प्यूटर में गहरी दिलचस्पी थी। जिसके कारण अपनी पढ़ाई पर वो ध्यान नहीं दे सके और आठवीं में दो पेपर नहीं देने के कारण परीक्षा में फेल हो गये। इसके बाद तो कम्प्यूटर उनका जुनून बन गया इसके बाद त्रिशनित ने वो कर दिखाया जो बहुत कम लोग ही सोच सकते है। महज 21 साल की उम्र में इन्होंने लाखों का कारोबार खड़ा कर दिया है। आज वो टीएसी सिक्युरिटी नाम की साइबर सिक्युरिटी कंपनी के CEO हैं।
इथिकल हैकिंग में नेटवर्क या सिस्टम इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी इवैल्युएट की जाती है। सर्टिफाइड हैकर्स इसकी निगरानी करते हैं, ताकि कोई नेटवर्क या सिस्टम (कम्प्यूटर) इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी तोड़कर कॉन्फिडेन्शियल चीजें न तो उड़ा सके और न ही वायरस या दूसरे मीडियम्स के जरिए कोई नुकसान पहुंचा सके।
बड़ी कंपनियों को देते हैं सर्विस
इस समय त्रिशनित रिलायंस, सीबीआई, पंजाब पुलिस, गुजरात पुलिस, अमूल और एवन साइकिल जैसी कंपनियों को साइबर से जुड़ी सर्विसेज दे रहे हैं। यही नहीं वो ‘हैकिंग टॉक विद त्रिशनित अरोड़ा’ ‘दि हैकिंग एरा’ और ‘हैकिंग विद स्मार्ट फोन्स’ नाम की किताब भी लिख चुके हैं। दुबई और यूके में इनके कंपनी का वर्चुअल ऑफिस है। करीब 40% क्लाइंट्स इन्हीं ऑफिसेस से डील करते हैं। सबसे बड़ी बात दुनियाभर में 50 फॉर्च्यून और 500 कंपनियां क्लाइंट हैं। इन्होंने नॉर्थ इंडिया की पहली साइबर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम का सेटअप किया।
परिवार को नहीं पसंद था त्रिशनित का काम
त्रिशनित जब दो पेपर नहीं देने की वजह से आठवीं में फेल हो गए तो मम्मी-पापा ने खूब डांटा। दोस्त और परिवार के लोग भी मजाक उड़ाते, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी। फेल होने के बाद रेग्युलर पढ़ाई छोड़ दी और आगे 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने कॉरेस्पॉन्डेंस से की। इसके साथ-साथ वे कम्प्यूटर और हैकिंग के बारे में लगातार नई जानकारियां भी इकट्ठा करते रहे। उनकी वाइफ मां और अकाउंटेंट पिता इस काम को पसंद नहीं करते थे। लेकिन त्रिशनित कम्प्यूटर में अपने शौक को ही करियर बनाना का फैसला कर चुके थे।
त्रिशनित ने बताई एथिकल हैकर की जरूरत
शुरुआत में उनकी बातें सुन कर लोग मुस्कुरा देते। मीडिया भी गंभीरता से नहीं लेता। फिर वह अपने काम के जरिए साबित करते कि कैसे विभिन्न कंपनियों का डाटा चुराया जा रहा है और इन दिनों हैकिंग के क्या तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं। धीरे-धीरे उनके काम को मान्यता मिलने लगी। कंपनियां उनके काम को सराहने लगीं।
उनके काम को लेकर 2013 में गुजरात में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने उन्हें सम्मानित किया। 2014 में इसी काम को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने गणतंत्र दिवस पर ‘स्टेट अवॉर्ड ’ दिया। 2015 में उनको फिल्म एक्टर आयुष्मान खुराना सहित सात हस्तियों के साथ पंजाबी आइकॉन अवॉर्ड दिया गया।
2000 करोड़ रुपए टर्नओवर पर नजर
इस समय त्रिशनित की कमाई करोड़ों रुपए में है। एक इंटरव्यू में भी उन्होंने बताया था कि फिलहाल उनकी नजर कंपनी का टर्नओवर 2000 करोड़ रुपए तक पहुंचाना है। 22 साल के त्रिशनित का कहना है कि फेल होने के बाद उन्हें ये समझ में आया कि ‘पैशन’ के आगे पढ़ाई मायने नहीं रखती। फिलहाल वह अपने काम में व्यस्त हैं, लेकिन पढ़ाई को छोड़ना नहीं चाहते।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
