भाषा की दीवार तोड़ने आ रहा है 'ट्रांसलेट वन टू वन' डिवाइस

आपके साथ भी ऐसा होता होगा जब आप किसी दूसरे देश घूमने जाते हैं, या किसी ऐसी भाषा को बोलने वाला इंसान आपको मिल जाता जो आपको नहीं आती तो परेशानी का सामना करना पड़ता है। भाषा को लेकर और भी कई समस्याएं हैं। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए एक लैंग्वेज ट्रांसलेट डिवाइस तकनीक का इजाद किया गया है। खबरों के मुताबिक अब एक ऐसा डिवाइस बाजार में आने वाला है, जो हर विदेशी भाषा को ट्रांसलेट कर सकेगा।
अनुवाद एक ऐसी विधा है, जिससे भाषाई दीवार को तोड़ी जाती है। अनुवाद की मदद से दूसरी जबान की कहानी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। अनुवाद से ग्लोबल दायरा बढ़ा है, इससे दुनिया के लोगों में निकटता भी आई है। लेकिन जिस व्यक्ति को अनुवाद करना नहीं आता है, आखिर वह कैसे दूसरी भाषा को अपनी जबान में समझे, ऐसा अबतक गूगल ट्रांसलेट के जरिये होता रहा है।
लिंगमो इंटरनैशनल ने ये मशीन विकसित की
जहां हम इस टूल के माध्यम में अपनी भाषा में चीजों को बदल सकते हैं। लेकिन गूगल ट्रांसलेट में खामियां बहुत हैं। इसमें अनुवाद तो होता है, लेकिन वह पूरी तरह से सही नहीं होता है। जिससे पूरी कहानी का अर्थ बदल जाता है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया की एक स्टार्टअप ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है, जिससे करेक्ट अनुवाद होता है। इस डिवाइस का नाम ट्रांसलेट वन टू वन है। लिंगमो इंटरनैशनल ने ये मशीन विकसित की है।
पहले यह सिर्फ 8 लैंग्वेज में ही उपलब्ध था
ट्रांसलेशन की तकनीक दिन प्रतिदिन विकसित होती जा रही है। गूगल और स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म इस पर काम कर रहे हैं। पिछले साल नवंबर में गूगल ट्रांसलेट ने न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन लॉन्च किया था। इस दौरान यह सिर्फ 8 लैंग्वेज में ही उपलब्ध था, लेकिन अब गूगल ने बेहतर ट्रांसलेशन करने वाले इस सिस्टम को हिंदी, रूसी और वियनताम की लैंग्वेज के लिए जारी कर दिया है। गूगल के मुताबिक, न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन में एक-एक शब्द का ट्रांसलेशन करने के बजाय पूरे वाक्य को समझकर उसका ट्रांसलेशन किया जाता है।
यह मशीन सेकेंडों में कर देती है ट्रांसलेशन
इस डिवाइस की कीमत 11,551 रुपये बताई जा रही है। हालांकि अभी यह मार्केट में नहीं आई है, लेकिन टेक इंडस्ट्री के एक्सपर्ट बता रहे हैं कि अगले महीने से यह बाजार में उपलब्ध हो जायेगी। इस डिवाइस में आईबीएम का वॉटसन नेचुरल लैंगुएज प्रोसेसर और लैंगुएज ट्रांसलेशन का एपीआई लगा हुआ है। इसके ईयरपीस में एक माइक्रोफोन फिट किया गया है जो हमारे बोले हुए शब्दों को समझ लेता है और ईयरपीस में लगी मशीन उसे सेकंडों के भीतर ट्रांसलेट कर देती है। इसे iOS ऐप से भी जोड़ा जा सकेगा जिसके माध्यम से आप स्पीच को टेक्स्ट में या टेक्स्ट को स्पीच में बदल सकेंगे।
इस डिवाइस के आ जाने से अनुवाद की दुनिया में एक नई क्रांति तो आयेगी ही साथ ही, उन लोगों को ज्यादा सुविधा होगी जो भाषाई दिक्कत का सामना करते हैं। जिन्हें अनुवाद करना नहीं आता है। 'वन टू वन' डिवाइस सिर्फ 3 से 5 सेकंड में किसी भी भाषा का ट्रांसलेट हो सकता है। अभी इस मशीन से अंग्रेजी, जापानी, फ्रेंच, स्पैनिश, ब्रीजिलियन, जर्मन, चीनी, इटैलियन और पुर्तगाली भाषा को ट्रांसलेट होता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए दो बात करने वाले लोगों को दो ईयरफोन पहनने होंगे। इसे फोन के जरिए ब्लूटूथ या वाइ-फाइ से भी जोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पिछले साल टेक स्टार्टअप वेवरली लैब्स ने एक पायलट लैब्स ईयरपीस ईजाद किया था जो बिना किसी इंटरनेट या ब्लूटूथ कनेक्शन के किसी भी भाषा को आसानी से ट्रांसलेट कर सकती थी। वन टू वन डिवाइस उसी तकनीक के सहारे विकसित की गई है। लेकिन इसके लिए भी लैंगुएज कलेक्शन का पैक डाउलनोड करना होगा और इसके लिए आपको स्मार्टफोन की जरूरत होगी।
भाषाई दिक्कत सबसे ज्यादा पर्यटकों को उठानी पड़ती हैं, जो अक्सर ट्रैवल के बहाने दूसरे देश जाते हैं। इसके अलावा सरकार के तमाम प्रतिनिधि किसी दूसरे देश में कोई सम्मेलन में शामिल होने जाते हैं, तो उन्हें भी भाषा की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह मशीन ऐसे सभी लोगों के लिए काफी मददगार साबित होगी, जिन्हें दूसरी भाषा के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वन टू वन डिवाइस को इसी महीने जिनेवा में यूनाइटेड नेशन के गुड समिट में लॉन्च किया गया था।
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