मोदी का दक्षेस को 'उपहार', GSAT-9 सफलतापूर्वक लॉन्च

अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने एक और लम्बी छलांग लगाते हुए GSAT-9 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। मई 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से दक्षेस उपग्रह बनाने का आग्रह किया था, जो पड़ोसी देशों को 'भारत की ओर से उपहार' के तौर पर दिया जा सके।
इस सैटलाइट से भारत के पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका को संचार और आपदा प्रबंधन में बड़ी मदद मिलेगी। पाकिस्तान ने इस परियोजना से खुद को अलग कर लिया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसे सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया है।
यह सैटलाइट साउथ एशिया में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की भारत की कूटनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। मोदी जी एक विजेनरी हैं, उन्होंने दिये आश्वासन के अनुरूप दक्षिण एशियाई खासकर सार्क देशों को जी एस ए टी -9 सेटेलाइट का नायाब तोहफा देकर शार्क देशों को एकजुट रखकर सबका साथ सबका विकास के अपने मूल मंत्र को चरितार्थ कर रहे हैं। इससे दक्षिण एशिया मे चीन के दबदबे को कम किया जा सकेगा।
पौने तीन साल की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने किया तैयार
450 करोड़ रुपये की लागत से संचार उपग्रह GSAT-9 को इसरो ने पौने तीन साल की मेहनत के बाद तैयार किया है। पीएम मोदी ने 30 अप्रैल को 'मन की बात' कार्यक्रम में घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पड़ोसी देशों को भारत की तरफ से 'कीमती उपहार' होगा। उपग्रह को इसरो के जीएसएलवी-एफ 09 रॉकेट से प्रक्षेपण किया गया।
GSAT-9 भारत के पड़ोसी देशों के बीच संचार में मददगार होगा। इस उपग्रह की कीमत 235 करोड़ रुपये है, जबकि पूरी परियोजना पर 450 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह उपग्रह 12 साल तक सूचनाएं उपलब्ध कराएगा।
आठ दक्षेस देशों में से सात देश इस परियोजना का हिस्सा हैं। दक्षेस देश में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान शामिल हैं। बता दें कि पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है। यह उपग्रह अंतरिक्ष आधारित टेक्नॉलजी के बेहतर इस्तेमाल में मदद करेगा।
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