अलविदा 2016: उपलब्धियों से भरा रहा इसरो के लिए यह साल

भारत विकास के राह पर तो बहुत पहले ही चल पड़ा है, लगता है अब इसने रफ्तार पकड़ ली है। पूरी दुनिया ने तो पहले ही भारत का लोहा अंतरिक्ष विज्ञान में मान लिया है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का बहुत बड़ा हाथ है।
इस साल 20 उपग्रह इसरो ने किया लॉन्च
साल 2016 की बात करें तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए यह साल उपलब्धियों भरा रहा। इसरो ने तकनीकी मोर्चे पर कई कामयाबियां हासिल कीं। आपको बता दें तकनीकी मोर्चे पर इस साल एक साथ 20 उपग्रह लॉन्च करने के अलावा इसरो ने अपना नाविक सैटेलाइट नेविगेशन प्रणाली स्थापित किया और दोबारा प्रयोग में आने वाले प्रक्षेपण यान (आरएलवी) और स्क्रैमजेट इंजन का सफल प्रयोग किया।
34 उपग्रहों को अंतरिक्ष में उनकी कक्षा में स्थापित किया
यही नहीं, इस साल इसरो ने कुल 34 उपग्रहों को अंतरिक्ष में उनकी कक्षा में स्थापित किया, जिनमें से 33 उपग्रहों को स्वदेश निर्मित रॉकेट से और एक उपग्रह (जीएसएटी-18) को फ्रांसीसी कंपनी एरियानेस्पेस द्वारा निर्मित रॉकेट से प्रक्षेपित किया। भारतीय रॉकेट से प्रक्षेपित किए गए 33 उपग्रहों में से 22 उपग्रह दूसरे देशों के थे, जबकि शेष 11 उपग्रह इसरो और भारतीय शिक्षण संस्थानों द्वारा निर्मित थे।
500 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स कॉरपोरेशन को कुल 500 करोड़ रुपये के ऑर्डर हासिल हुए जबकि अभी 500 करोड़ रुपये के ऑर्डर पर बातचीत जारी है। इसरो ने स्वदेश निर्मित भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) श्रृंखला के 2 से 2.5 टन वहन क्षमता वाले एक और रॉकेट 'जीएसएलवी मार्क 2' को वैश्विक बाजार में बिक्री के लिए पेश किया। अंतरिक्ष एजेंसी ने इसके अलावा स्वनिर्मित रॉकेट पोलर सैटेलाइट विहकल (पीएसएलवी) में खुद विकसित किए गए मल्टीपल बर्न तकनीक का वाणिज्यिक इस्तेमाल किया।
दो नेविगेशन सेटेलाइटों की अभिकल्पना तैयार
इसके अलावा इसरो ने दो नेविगेशन सेटेलाइटों की अभिकल्पना तैयार करने के लिए अल्फा डिजायन टेक्नोलॉजीज लि. के साथ एक अनुबंध करने के साथ उपग्रहों के उत्पादन के नए चरण में प्रवेश किया। जून में इसरो ने भारत के उपग्रह काटरेसैट के साथ अन्य 19 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया, जिनमें से एक उपग्रह अमेरिकी कंपनी टेरा बेला गूगल की थी।
टीमइंडस के साथ चांद पर यान भेजने का समझौता
आपको बता दें भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने वाणिज्यिक मोर्चे पर बेंगलुरू की कंपनी टीमइंडस के साथ चांद पर यान भेजने का समझौता किया था। इसी वर्ष मई में स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण इसरो के लिए बड़ी सफलता रही। विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के निदेशक के. शिवान ने कहा, स्क्रैमजेट इंजन वातावरण से ऑक्सीजन खींचकर ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। परिणामस्वरूप रॉकेट के वजन में काफी कमी लाई जा सकती है जो अधिक से अधिक उपग्रहों को ले जाने में मददगार होगा। रॉकेट के निर्माण में लगने वाली कीमत में भी कमी आएगी।
2017 की प्लानिंग
इसके साथ ही इसरो साल 2017 में एक नया धमाका करने वाली है। इसरो की योजना अगले वर्ष एकसाथ 83 उपग्रहों को एक रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित करने की है। इसमें दो उपग्रह भारत के और 81 उपग्रह दूसरे देशों के होंगे। 2017 की शुरुआत में ही इसरो चार टन क्षमता वाले जीएसएलवी रॉकेट के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है। पहली तिमाही में इसरो कुल तीन उपग्रहों को प्रक्षेपित करेगा।
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