'वायरलेस चार्जिंग' दिल को बहलाने के लिए 'टिम कुक' ये ख्याल अच्छा है

स्मार्टफोन की दिग्गज कंपनी एप्पल ने क्यूपर्टिनो के स्टीव जॉब्स थिएटर में आईफोन की 10वीं सालगिरह को सेलेब्रेट किया। एप्पल ने इस मौके पर नेक्स्ट जनेरेशन स्मार्टफोन आईफोन X पेश किया। यहां आईफोन 'एक्स' का मतलब रोमन संख्या 10 से है। इसको आईफोन टेन का नाम दिया गया है।
इसलिए एंड्रॉयड यूजर्स ध्यान से आईफोन X का सही उच्चारण करें, नहीं तो एप्पल यूजर्स के बीच उनके साथ कुछ वैसा ही सीन होगा जैसा दूरदर्शन की उस महिला एंकर के साथ हुआ था जिसने चीनी राष्ट्रपति के नाम का गलत उच्चारण कर दिया था।
खैर शेक्सपियर की लाइन को याद करते हुए 'नाम में क्या रखा है' हम काम की बात करते हैं। यानी आईफोन X के फीचर्स की, इसकी खूबियों की। साल दर साल आईफोन में नए-नए बदलाव होते रहे हैं। आईफोन का कद माने स्क्रीन साइज आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ता गया। 3.5 इंच स्क्रीन वाले छोटा सा आईफोन आज 10 साल बाद 5.8 इंच का हो चुका है। इसकी स्टोरेज क्षमता भी 4 जीबी से बढ़कर 256 जीबी हो चुकी है।
आईफोन X की वायरलेस चार्जिंग फीचर की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। लेकिन क्या सच में आईफोन X में वायरलेस चार्जिंग जैसा कोई फीचर है भी? जब हम वायरलेस की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में होता है कि किसी तार की मदद लिए बिना काम का हो जाना। जैसे कार्डलेस फोन पर बात करना जो लैंडलाइन के जमाने में आया। वायरलेस डेटा ट्रासंफर फीचर, ब्लूटूथ या वाई-फाई नेटर्वक के जरिए फोटो और वीडियो एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ट्रासंफर करना। लेकिन आईफोन X की वायरलेस चार्जिंग में आपको वायर की भी जरूरत है, पिन-प्लग चार्जर की भी और एक खास पैड की भी। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप फोन को अपने हाथ में पकड़ते हैं और एक इनविजिबेल पावर के जरिए फोन चार्ज हो रहा है।
आईफोन X की वायरलेस चार्जिंग फीचर के बावजूद आपको फोन उसी तरीके से चार्ज करना होगा जैसे अब तक दूसरे फोन्स को चार्ज करते आए हैं। हां, इस वायरलेस चार्जिंग फीचर की ये खूबी जरूर है कि आप वायरलेस चार्जिंग पैड पर एक साथ आईफोन, स्मार्टवॉच और एयरपॉड (वायरलेस ईयरफोन) को चार्ज कर सकते हैं। यानी यूजर्स को वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट डिवाइसेज के लिए अलग-अलग चार्जर तलाशने की जरूरत नहीं होगी।
क्या है वायरलेस चार्जिंग
दो डिवाइस (जैसे बैटरी) के बीच एनर्जी ट्रासंफर करने के लिए एक विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र का इस्तेमाल किया जाता है। निकोला टेस्ला नाम के सर्बियाई-अमेरिकी वैज्ञानिक ने पहली बार इसे साल 1891 में खोजा।
मौजूदा वक्त में वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट वाले अधिकतर फोन एक चार्ज पैड या मैट पर रखकर चार्ज होते हैं। ये चार्ज पैड विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र बनाकर पावर ट्रासंफर करने का काम करते हैं। कई सारे हाई एंड एंड्रॉयड फोन में भी ऐसा वायरलेस चार्जिंग फीचर मौजूद है।
द वर्ज की रिपोर्ट के मुताबिक एप्पल ने लॉन्च इवेंट के दौरान इस साल किसी भी फोन के लिए कोई भी वास्तविक वायरलेस चार्जिंग हार्डवेयर की घोषणा नहीं की।
एप्पल का कहना है कि यह क्यूई (वायरलेस चार्जिंग तकनीक पर काम करने वाली कंपनी) के साथ काम कर रही है ताकि वायरलेस चार्जिंग फीचर को एक मानक के तौर पर शामिल किया जा सके। चार्जिंग मैट के जरिए यूजर्स को फास्ट चार्जिंग की भी सुविधा मिलेगी। एयरपॉवर चार्जर अगले साल उपलब्ध होगा।
तुमको मालूम है वायरलेस चार्जिंग की हकीकत लेकिन, दिल को बहलाने के लिए 'टिम कुक' ये ख्याल अच्छा है।
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