बढ़ता भारत : रेल दुर्घटनाएं रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने अपनाई यह नई तकनीक

रेल दुर्घटनाओं से बचने के लिए भारतीय रेलवे ने एक नई तकनीक को इजाद किया है। इस नई तकनीक से पल भर में 800 ट्रेनों को एक साथ दिशा निर्देश दिया जा सकेगा। दावा है कि यह एशिया का सबसे बड़ा इंटरलॉकिंग सिस्टम है।
करीब 39 करोड़ रुपये की लागत से लगाए गए इस नए इंटरलॉकिंग सिस्टम से ट्रेनों की आवाजाही पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी। भारतीय रेलवे का दावा है कि इससे ट्रेनों की रफ्तार और उनकी दिशा के बारे में सटीक जानकारी जुटाने में ज्यादा मदद मिलेगी। इसकी मदद से रेल दुर्घटनाओं को कम करने में काफी सफलता मिल सकती है। खासकर, क्रॉसिंग पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में इस नई तकनीक से काफी राहत मिलेगी।
इस तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए रेलवे के वरिष्ठ अफसरों ने बताया कि बीते सात-आठ महीने से इस तकनीक पर काम किया जा रहा था। चूंकि, पुरानी तकनीक पर काम करने में लोगों को आदत बन चुकी है। ऐसे में इसे धीरे-धीरे सिस्टम में पूरी तरह लागू किया जाएगा। शुरुआती जांच में इस तकनीक से काम काफी आसान होना पाया गया है। शुरुआती दिनों में इस प्रोजेक्ट को चार नवंबर से खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर लगाया गया है। जहां इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। बता दें कि वर्तमान में रूट रिले इंटरलॉकिंग (आरआरआई) सिस्टम के तहत ट्रेनों की इंटरलॉकिंग पर नजर रखी जाती रही है। वहीं, अब इसे सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग (एसएसआई) तकनीक से लैस करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि, शुरुआत में जब इस सिस्टम को ट्रेनों से जोड़ा गया तो इससे थोड़ी दिक्कत का भी सामना करना पड़ा, जिसका त्वरित समाधान तलाशने की कोशिश की जा रही है।
रेलवे प्रबंधन की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर इस नई तकनीक को सबसे पहले प्लेटफार्म संख्या सात व आठ से जोड़ा गया। फिर इसे बढ़ाते हुए उसे तीसरी लाइन से जोड़ा गया। अब खड़गपुर स्टेशन पर इस नई तकनीक से तीन विभिन्न दिशाओं हावड़ा, मिदनापुर व खड़गपुर रेलवे स्टेशनों से गुजर रही ट्रेनों पर निगरानी रखी जा रही है। यहां यह जानना जरूरी है कि खड़गपुर रेलवे स्टेशन से हर रोज करीब 116 ट्रेनें गुजरती हैं। ऐसे में इस तकनीक की पूरी तरह से जांच करने के बाद उसे अन्य स्टेशनों पर भी लागू करने की तैयारी की जाएगी।
इसके अलावा रेलवे के वरिष्ठ अफसरों ने यह भी बताया है कि उन्हें इस तकनीक को पूरी तरह से देशभर में लागू करने के लिए नए स्टेशन मास्टरों की आवश्यकता होगी। जल्द ही इस दिशा में भी कोई कदम बढ़ाया जाएगा। साथ ही, उन्होंने मीडिया को यह भी जानकारी दी है कि बीते रविवार तक कुछ दिक्कत आ रही थी मगर अब यह सिस्टम ट्रेनों के सिग्नल, कैंसिलेशन और डायरेक्शन को सफलतापूर्वक संपन्न करने में पूरी तरह से कामयाब हो रही है।
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