सड़क पर उतरे जंगी जहाजों ने भर दिया रोमांच

आसमान का सीना चीरते फाइटर प्लेन और उन्हें देखने के लिए उत्साह लबरेज हजारों लोग। भारतीय वायुसेना के एक दर्जन से अधिक फाइटर प्लेन के साथ चार मालवाहक विमानों की शानदार लैंडिंग और टेक ऑफ। यह नजारा था मंगलवार सुबह लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर आयोजित एयरफोर्स के ऑपरेशनल रिहर्सल का। उन्नाव के बांगरमऊ इलाके में हुई इस रिहर्सल को देखने के लिए वायुसेना व प्रदेश के आला अफसरों के साथ बड़ी संख्या में आम जन मौजूद रहे।
भविष्य- की चुनौतियों की तैयारी
भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए वायुसेना ने मंगलवार को एक्सप्रेस वे पर यह रिहर्सल की। दरअसल, इसके पीछे सोच है कि अगर कभी जंग के दौरान जब विमानों को उतारने के लिए रनवे उपलब्ध न हो सकें तो ऐसी एक्सप्रेस हाईवे का प्रयोग लैंडिंग और टेक ऑफ के लिए किया जा सके।
आपात स्थिति के लिए बना है रनवे भी
बता दें कि इससे पहले जब एक्सप्रेस-वे बन रहा था, तभी वायुसेना के अनुरोध पर चार किलोमीटर का पैच रनवे की तरह ही तकनीकी तौर पर मजबूत और सॉलिड बनाया गया है ताकि वह लड़ाकू विमानों का दबाव झेल सके। लेकिन, मंगलवार को उसमें से केवल तीन किलोमीटर के हिस्से का इस्तेमाल किया गया। तेज गति से विमान तीन सौ मीटर के पैच पर उतरे। इस दौरान चार सेकेंड के लिए जमीन को छुआ।
दूसरी बार सड़क पर उतरे लड़ाकू विमान
देश में ऐसा प्रयोग पहली बार 2015 में यमुना एक्सप्रेस वे पर किया गया था। मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज 2000 ने टच डाउन किया था। दूसरी बार ऐसा प्रयोग बीते साल लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर वायुसेना के आठ लड़ाकू विमानों ने इसी जगह पर किया गया था, जो पूरी तरह से सफल रहा था।
260 किमी. प्रति घंटा थी रफ्तार
अमेरिका से स्पेशल ऑपरेशन के लिए लाया गया सी 130 के लैडिंग से इस अभ्यास की शुरुआत हुई। इससे निकलकर वायुसेना के गरुड़ कमांडो ने अपना जौहर दिखाया। इसके बाद तीन जगुआर, छह मिराज 2000 और छह सुपरसोनिक सुखोई एसयू-30 260 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से जमीन को छूकर उड़ गए। सबसे अंत में आए हरक्युलिस ग्लोबमास्टर से गरुड़ कमांडोज को लेकर रवाना हुआ। कुछ पलों के इस आयोजन ने मौजूद लोगों को रोमांच से भर दिया। वायुसेना के जांबाज पायलटों के करतबों ने सभी दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर कर दिया।
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