भेल-आईआईटी रुड़की का कमाल, कोरोना से लड़ाई के लिए बनाईं ये मशीन
कोरोना वायरस (Corona Virus) की महामारी (Pandemic) तेजी से फैल रही है। इसका सबसे बड़ा कारण कोविड-19 (Covid-19) वायरस है, जो एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में पहुंच जाता है। ये हवा, कपड़े, मोबाइल और नोट पर भी काफी लंबे समय तक जिंदा रह सकता है। इससे बचाव के तरीकों में हाथों और चीजों को सैनिटाइज करना शामिल है। सरकारें भी मोहल्लों और शहरों को लगातार सैनिटाइज करा रही हैं। अब देश के दो प्रमुख संस्थानों भेल (BHEL) और आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) ने सैनिटाइजिंग स्प्रे मशीन व स्टेरलाइजेशन सिस्टम का निर्माण किया है। जिसमें भेल (BHEL) की मशीन एक घंटे में लगभग 10 किलोमीटर क्षेत्र को सैनिटाइज कर सकती है।
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तोप जैसी दिखती है मशीन
यह सैनिटाइजिंग स्प्रे मशीन (Sanitizing Spray Machine) हरिद्वार के भेल (बीएचईएल) ने अपनी तकनीक का प्रयोग करते हुए बनाई है। भेल ने सैनिटाइजिंग स्प्रे मशीन (Sanitizing Spray Machine) को गुरुग्राम स्थित पावर ग्रिड कॉरपोरेशन कार्यालय भेज दिया है। इस मशीन को संक्रमित इलाके का आसानी से सैनिटाइज करने में प्रयोग किया जाएगा। इस तोप के जैसी दिखनी वाली सैनिटाइजिंग मशीन (Sanitizing Machine) को भेल के कार्यपालक निदेशक संजय गुलाटी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। स्वदेशी तकनीक पर आधारित होने के चलते इस मशीन की लागत भी काफी कम आई है।
पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ने दिए थे दो ऑर्डर
भेल (BHEL) को गुरुग्राम के पावर ग्रिड कॉरपोरेशन की ओर से दो मशीनों का ऑर्डर मिला था। इस मशीन की खासियत ये है कि इसके जरिए 20 मीटर दूरी तक सैनिटाइजर का छिड़काव किया जा सकता है। इसके प्रयोग से कुछ घंटों में ही कई मोहल्लों को सैनिटाइज किया जा सकता है। यह रेड जोन व कंटेनमेंट क्षेत्रों को लिए ज्यादा उपयोगी साबित हो सकती है। अगर किसी क्षेत्र में कोरोना के मरीज पाए जाते हैं तो ये मशीन वहां लेकर कुछ ही घंटे में पूरे क्षेत्र को सैनिटाइज कर सकती है, जिससे कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाएगा।
6 नोजल करते हैं स्प्रे
इस सैनिटाइजिंग स्प्रे मशीन (Sanitizing Spray Machine) में स्प्रे करने वाले 6 नोजल लगे हैं, जो अपनी पूरी क्षमता और प्रेशर से सैनिटाइजर को स्प्रे करते हैं। इसे मशीन के ऊपर लगाया गया है, इन नोजल के पीछे तेज हवा फेंकने वाली मोटर लगाई गई है, जो स्प्रे को हवा में उड़ाता है। इससे सैनिटाइजर दूर तक पहुंच जाता है। सैनिटाइजर स्प्रे के रूप में फैलने के कारण काफी कम मात्रा में ही ज्यादा क्षेत्र को सैनिटाइज कर सकता है।
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इससे पहले बनाई थी छोटी मशीन
लॉकडाउन की इस मुश्किल घड़ी में भेल (बीएचईएल) लगातार नए-नए उपकरण विकसित कर रहा है। अभी कुछ दिनों पहले कंपनी ने एक छोटी स्प्रे मशीन (Spray Machine) को बनाया था। जिसका इस्तेमाल कार्यालयों, संस्थानों और अस्पतालों के अंदर चीजों को सैनिटाइज करने में किया जा सकता है। यह मशीन आसानी से चीजों को संक्रमण रहित बना सकती है। भेल ने अपने कार्यालय के सेक्टर दो की डिस्पेंसरी को कोविड-19 (Covid-19) केयर वार्ड के रूप में परिवर्तित कर जिला प्रशासन को सौंपा है, जहां कोरोना से संक्रमित लोगों का इलाज हो सके। वहीं सेक्टर चार में बने सामुदायिक केंद्र में कंपनी पहले ही अस्थायी अस्पताल बना चुकी है, इसको आईटीसी की मदद से बनाया गया था। कंपनी लॉकडाउन (Lockdown) में भी सरकार ने विशेष अनुमित लेकर काम कर रही है। कंपनी के इंजीनियर्स सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पूरा ख्याल रखते हुए लगातार काम कर रहे हैं।
आईआईटी रुड़की ने बनाया स्टेरलाइजेशन सिस्टम
देश की प्रमुख शिक्षण संस्था आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) ने एक स्टेरलाइजेशन सिस्टम विकसित किया है। जो सामान्य तौर पर उपयोग होने वाली चीजों को स्टेरलाइज करने के काम आता है। इस मशीन के उपयोग से मोबाइल, घड़ी, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, प्लास्टिक और धातु निर्मित सामानों को स्टेरलाइज किया जा सकता है। यह मशीन इतनी उपयोगी है कि इसको सरकारी और निजी दफ्तरों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों, शॉपिंग मॉल, हवाई अड्डों व अन्य जगहों इस्तेमाल कर स्टेरलाइज कर सकते हैं। आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) ने ऐसी एक मशीन को हरिद्वार नगर निगम को प्रयोग के लिए दिया है। यह मशीन बेहद उपयोगी साबित हो रही है। इसके प्रयोग से कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिल रही है।
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मोबाइल व अन्य सामान को करती है स्टेरलाइज
इस मशीन में आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) ने एक मूविंग सिस्टम वाला अल्ट्रा-वॉयलेट कक्ष (Ultra Violet Room) बनाया है। जिसमें संक्रमण की आशंका वाली चीजों को रखकर अंदर डाला जाता है। अल्ट्रा वॉयलेट कक्ष (Ultra Violet Room) में जाते ही चीजें संक्रमण रहित होकर बाहर निकल आती हैं। इस मशीन पर आईआईटी ने 20 दिनों तक प्रयोग भी किए हैं, जिससे ये अपने काम में उपयोगी साहिब हो सके। इस मशीन को आईआईटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग से प्रोफेसर विमल चंद्र श्रीवास्तव और उनके छात्रों रोहित चौहान, नवनीत कुमार, डॉ स्वाति वर्मा ने डेवलप किया है। प्रोफेसर विमल चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि ये मशीन चीजों को लगातार स्टेरलाइट कर सकती है। हरिद्वार नगर निगम ने भी इस मशीन के लिए उनका शुक्रिया अदा किया है।

एक बुजुर्ग इंजीनियर ने भी दान की थी मशीन
इससे पहले भी कई संस्थान और लोग अपने निजी प्रयासों से ऐसी मशीनों को बना चुके हैं, जो करोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण से लोगों को बचा रही हैं। इनमें मध्य प्रदेश के बुजुर्ग इंजीनियर नाहरू खान की भूमिका सराहनीय रही है। उन्होंने एक सैनिटाइजेशन मशीन (Sanitizing Machine) का निर्माण कर उसको प्रशासन को दान कर दिया है। इस मशीन की लागत करीब डेढ़ लाख रुपये आई थी। इस मशीन में एक तरफ से लोग दाखिल होते हैं, जिन्हें मशीन के अंदर कक्ष में लगे सैनिटाइजर का स्प्रे संक्रमण रहित कर देता है। यह मशीन एक बार में 15 लोगों को सैनिटाइज कर सकती है। इस मशीन को उन्होंने जिला प्रशासन को दान किया था, जिसने सरकारी अस्पताल के बाहर इसको लगा दिया था। इस मशीन के जरिए अस्पताल आने-जाने वाले लोग कोरोना के संक्रमण से बच पा रहे हैं।
लखनऊ के जीतू ने भी बनाई थी स्प्रे मशीन
वहीं लखनऊ के गोमतीनगर में रहने वाले जीतू शुक्ला ने भी केवल 2000 रुपये की लागत से एक सैनिटाइजिंग स्प्रे मशीन (Sanitizing Spray Machine) का निर्माण किया था। इस मशीन को लोग अपने घरों के बाहर लगा सकते हैं, जो केवल तीन सेकेंड में लोगों को सैनिटाइज कर सकती है। ये मशीन बाहर से आने वाले लोगों के माध्यम से होने वाले संक्रमण को कम करती है। जीतू की मशीन को घर के बाहर गेट पर लगाना होता है, जिसे मकान मालिक अपने हिसाब से ऑपरेट कर सकता है। इसमें घर के अंदर दाखिल होने वाले व्यक्ति को एक निश्चित जगत पर खड़ा होना पड़ता है, जिसके ऊपर सैनिटाइजर स्प्रे (Sanitizer Spray Machine) किया जाता है। जीतू से ये मशीन कोई भी खरीद सकता है।
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