सैनिकों के लिए 14 साल के हर्ष ने किया कुछ ऐसा, मिला 5 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट

भारतीय सेना सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए दिन रात लगी हुई है। सेना को सपोर्ट करने के लिए जिस तरह टेक्नॉलजी ने आज मदद की है उससे उनकी ताकत और बढ़ती ही जा रही है। आज सीमा पर हमारे जवान अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर दुश्मन का मुकाबला कर रहे हैं, फिर भी अभी कुछ कमियां है जिसका खामियाजा हमारे जवानों को भुगतना पड़ रहा है। इस सोच के साथ गुजरात के एक 14 साल के लड़के ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है जो हमारे सैनिकों को बहुत काम आने वाला है। इस लड़के के इस खोज के लिए सरकार ने उससे 5 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया है।
सीमा पर बारूदी सुरंग बड़ी समस्या
आपको बता दें, सीमा पर गश्ती के दौरान हमारे सैनिकों को बारूदी सुरंगों का हर पल सामना करना पड़ता है। हर साल भारी संख्या में हमारे जवान इसकी खोज के दौरान घायल हो जाते हैं या अपनी जान से हाथ गंवा बैठते हैं। इन्हीं घटनाओं को देखने के बाद गुजरात के 14 साल के हर्षवर्धन ने सेना के लिए एक ऐसा ड्रोन बनाने का फैसला किया जिससे हमारे सैनिकों को मदद मिले।
सेना के लिए बनाया ड्रोन
दसवीं में पढ़ने वाले हर्षवर्धन ज़ाला ने पिछले साल अखबारों में पढ़ा कि किस तरह बारूदी सुंरग, सेना में बड़ी तादाद में जवानों के घायल होने और उनकी मौत की वजह बनती है। इसके बाद हर्ष ने एक ड्रोन के प्रोटोटाइप पर काम करना शुरू किया जो बारूदी सुरंग का पता लगा सके। हर्षवर्धन द्वारा बनाए ड्रोन के लिए सरकार ने पांच करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट किया है। इसके तहत इस ड्रोन के कमर्शियल उत्पाद और युद्ध के मैदान में बारूदी सुरंग का पता लगाकर उसे निष्क्रिय करने की संभावना पर गौर किया जाएगा।
वायब्रेंट गुजरात समिट में हर्षवर्धन ने दिखाया अपना ड्रोन
इसी महीने अहमदाबाद में हुए वायब्रेंट गुजरात समिट में हर्षवर्धन ने MoU पर हस्ताक्षर किए हैं। वह बताते हैं 'मैंने पहले तो बारूदी सुरंग का पता लगाने के लिए एक रोबोट बनाया था लेकिन मुझे लगा कि उसका वज़न ज्यादा होने की वजह से वो ब्लास्ट को ट्रिगर कर सकता है। इसलिए मैंने ड्रोन के बारे में सोचा जो एक उचित दूरी पर रहकर भी सुरंग का पता लगा पाएगा।' राज्य सरकार ने हर्ष के फायनल प्रोटोटाइप के आधे हिस्से को वित्त सहायता भी दी है। करीब पांच लाख की लागत वाले इस ड्रोन के कमर्शियल उत्पादन की संभावना पर अब विशेषज्ञ चर्चा करेंगे।
कैसे काम करता है यह ड्रोन?
गुजरात काउंसिल ऑन साइंस एंड टैक्नॉलॉजी (GUJCOST) के प्रमुख डॉ नरोत्तम साहू का कहना है 'हर्षवर्धन के साथ MoU साइन हो गया है और आने वाले दिनों में गुजरात सरकार उनके साथ इस प्रोजेक्ट पर काम करेगी।' इस ड्रोन के बारे में बात करते हुए हर्षवर्धन कहते हैं कि एक बार इन्फ्रारेड सेंसर के जरिए ड्रोन, सुरंग का पता लगा लेगा, उसके बाद 50 ग्राम के डेटोनेटर उसे निष्क्रिय करने का काम करेगा। ड्रोन की लागत पर बात करते हुए हर्ष ने दावा किया कि 'फायनल प्रोटोटाइप की लागत करीब 3.2 लाख थी और उसमें और सुधार किये जाएंगे तो लागत बढ़ जाएगी। लेकिन इसके बावजूद यह सेना में फिलहाल जो सिस्टम काम कर रहा है, उससे सस्ता ही होगा।
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