बीटेक स्टूडेंट ने बनाया डिजिटल डस्टबिन, फुल हो जाने पर भेजेगा मैसेज

नरेंद्र मोदी के भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में स्वच्छ भारत अभियान ने जोर पकड़ लिया है। इस अभियान में खासकर युवाओं और बच्चों का बहुत बड़ा योगदान देखा जा रहा है। ऐसे ही एक युवा ने एक ऐसे स्मार्ट डस्टबिन का निर्माण किया है जो इस अभियान को रफ्तार दे सकता है।
गाजियाबाद के बीटेक स्टूडेंट पवन कुमार का स्मार्ट डस्टबिन पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन का हिस्सा हो सकता है। पवन ने अपने इस अविष्कार को हाल ही में बीजेपी सांसद व बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी को दिखाया था, जो उन्होंने काफी पसंद किया था। मनोज तिवारी ने जल्द ही पीएम मोदी से पवन के इस आविष्कार के बारे में बात करने का भी आश्वासन दिया है।
गाजियाबाद निवासी पवन कुमार संस्कार कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग ऐंड टेक्नॉलजी में कंप्यूटर साइंस से बीटेक कर रहे हैं। पहले ही साल में टेक सैवी पवन ने स्मार्ट डस्टबिन तैयार किया है। महज 8 हजार रुपये खर्च करके तैयार हुए डस्टबिन के लिए कॉलेज की डायरेक्टर डॉ. भावना अग्रवाल ने पवन को 5100 रुपये की मदद की थी।
कैसे काम करता है यह स्मार्ट डस्टबिन?
इस डस्टबिन में 2 सेंसर, डायोड, माइक्रो कंट्रोलर्स के साथ जीएसएम पैनल लगाया है, जिसमें एक मोबाइल सिम लगाई जा सकती है। इस सिम का नंबर ही डस्टबिन की पहचान बनेगा। हर कूड़ेदान से 2 मोबाइल नंबर अटैच किए जा सकते हैं। पवन ने आईसी प्रोग्रामिंग के जरिए ऐसी कमांड सेट की है, जिससे कूड़ादान भरते ही दोनों अटैच्ड नंबरों पर मैसेज चला जाएगा।
वहीं, जब तक कूड़ेदान को खाली नहीं किया जाएगा, वह हर 30 सेकंड में मेसेज भेजता रहेगा। यह तकनीक प्लास्टिक या मेटल और हर तरह के डस्टबिन में काम कर सकती है। पवन के मुताबिक, स्मार्ट डस्टबिन को चलाने के लिए महज 15-20 वोल्ट पावर की जरूरत होती है, जिसके लिए कूड़ेदान पर सोलर प्लेट भी लगाई जा सकती है। ऐसे में अलग से बिजली का खर्च भी नहीं आएगा।
महज 1 हजार में बन जाएगी स्मार्ट डस्टबिन
पवन का कहना है कि इस डस्टबिन में जीपीएस लगाकर कंट्रोल रूम भी स्थापित किया सकता है, जिससे कूड़ा निस्तारण की पद्धति पूरी तरह बदल जाएगी। जीपीएस से डस्टबिन की लोकेशन तुरंत पता चलेगी। पवन का कहना है कि बेसिक लेवल के इस डस्टबिन पर 8 हजार रुपये खर्च हुए हैं, लेकिन बड़े स्तर पर इस सेटअप के लिए हर डस्टबिन पर महज 1 हजार रुपये खर्च होंगे।
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