कोरोना से लड़ाई में आगे आया आईआईटी कानपुर, बना रहा पोर्टेबल वेंटिलेटर

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच में एक राहत वाली खबर आईआईटी कानपुर से आ रही है। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में ऐसा पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाया गया है, जो बाजार में उपलब्ध जीवन रक्षक मशीनों से भी सस्ता है। कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए तैयार किए जा रहे पोर्टेबल वेंटिलेटर काफी किफायती और मरीजों के लिए किसी रक्षक से कम नहीं है। 

आईआईटी कानपुर के दो छात्रों निखिल कुरुले और हर्षित राठौर की तरफ से बनाए गए इन वेंटिलेटर के सारे कल-पुर्जे और घटक भारत में ही बने हैं। यही नहीं, इन वेंटिलेटरों को आसानी से कहीं पर भी ले जाया जा सकता है। आईआईटी के छात्रों ने फिलहाल पोर्टेबल वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है। मरीजों पर टेस्टिंग होने के बाद एक माह के अंदर ही सरकार को एक हजार पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। आईआईटी के विशेषज्ञों और छात्रों द्वारा बनाए गए इस वेंटिलेटर में डॉक्टरों की सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखा गया है और कई विशेष फीचर भी इनबिल्ड किए गए हैं।

आईआईटी कानपुर के दो छात्र निखिल कुरुले और हर्षित राठौर ने इस पोर्टेबल वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप तैयार किया है। संस्थान के पूर्व छात्र ‘नोक्का रोबोटिक्स’ नाम से स्टार्ट अप चलाते हैं। इन लोगों ने आईआईटी के इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन हब के सहयोग से पोर्टेबल वेंटिलेटर का आइडिया विकसित किया और इसे पेटेंट भी करा लिया है। इस जीवन रक्षक की सबसे खास बात यह है कि ये बाजार में उपलब्ध वेंटिलेटरों के मुकाबले काफी किफायती है। बाजार में वेंटिलेटर की कीमत जहां तकरीबन करीब चार लाख रुपये है, तो वहीं इस वेंटिलेटर की कीमत महज 70 हजार रुपये ही है।

वैसे, इस वेंटिलेटर को बनाने में आईआईटी कानपुर ने नारायणा इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज, बेंगलुरू के डॉक्टरों समेत नौ सदस्यों का सहयोग लिया गया हैं। आईआईटी कानपुर के इनक्यूबेशन सेंटर के प्रभारी और प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय ने कहा, ‘कोविड-19 ने भयावह तरीके से मानवता को प्रभावित किया है। इस महामारी के संकट से अमेरिका और इटली जैसे विकसित देश जूझ रहे हैं जहां चिकित्सा की पर्याप्त सुविधाएं हैं तो भारत में हम तो बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। हम तेजी से, संभवत: एक महीने में वेंटिलेटर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’

एक महीने में बनेंगे एक हजार पोर्टेबल वेंटिलेटर

देश में आने वाले समय में वेंटिलेटर की मांग बढ़ सकती है। भविष्य में मरीजों की संख्या को देखते हुए अब कानपुर आईआईटी पूरी शिद्दत से लगा हुआ है। भविष्य में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन हब अब इसकी संख्या बढ़ाने वाला है। इस हब के इंचार्ज प्रो.अमिताभ बंधोपाध्याय ने बताया कि संस्थान के पूर्व छात्र निखिल और हर्षित से बात की तो वह लोग वेंटिलेटर बनाने के लिए राजी हो गए हैं। उन्होंने बताया कि आइआइटी के मकैनिकल इंजीनियरिंग के प्रो.समीर खांडेकर, प्रो.विशाख भट्टाचार्य, प्रो.अरुण साहा, प्रो.जे रामकुमार सहित अन्य लोगों के सहयोग से इसका प्रोटोटाइप तैयार किया गया है।

उन्होंने बताया कि दोनों ही पुराने छात्र लॉकडाउन की वजह से संस्थान नहीं आ सकें, लेकिन उन्होंने संस्थान के विशेषज्ञों के सहयोग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, स्काईप और अन्य तरीके से दिन रात एक कर प्रोटोटाइप मॉडल तैयार कर लिया है। उनकी कंपनी ने कुछ अन्य संस्थाओं के सहयोग से जल्द से जल्द कई वेंटिलेटर तैयार करेगी। हमारा लक्ष्य है कि महीने में कम से कम एक हजार पोर्टेबल वेंटीलेटर तैयार किए जाए। 

डॉक्टरों की सुरक्षा का भी रखा गया ध्यान

संस्थान की तरफ से तैयार किए गए पोर्टेबल वेंटीलेटर की सबसे खास बात यह है कि इसमें डॉक्टरों की सेहत का भी ख्याल रखा गया है। वह वेंटिलेटर को कम से कम छुए इसका पूरा ध्यान रखकर ही इस पोर्टेबल वेंटिलेटर को बनाया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टेबल वेंटीलेटर मोबाइल फोन से संचालित होगा। मोबाइल से संचालित होने की वजह से डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी निश्चित दूरी से ही इसे चला सकेंगे। इसमें ऑक्सीजन के लिए दो ऑप्शन है, एक स्लो और दूसरा फास्ट। इस वेंटिलेटर में बहुत ही आसानी से ऑक्सीजन के सिलेंडर को भी जोड़ा जा सकता है।

इसमें छोटी बैटरी भी लगी है, यदि कुछ देर बिजली आपूर्ति बंद भी हो जाएगी तो भी यह काम करता रहेगा। हब के इंचार्ज प्रो.अमिताभ बंधोपाध्याय ने बताया कि तैयार किया गया प्रोटोटाइप ऑटोमैटिक है। उन्होंने बताया कि पोर्टेबेल वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप बनाने के बाद अपग्रेड वर्जन पर काम करना शुरू कर दिया है। इसमें सबसे खास बात यह है कि वेंटिलेटर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ा गया है, जिससे रोगी की स्थिति को देखते हुए वेंटिलेटर स्वत: ही निर्णय लेगा कि किस मोड में ऑक्सीजन की सप्लाई देनी है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमित मरीज से वेंटिलेटर हटाने के बाद उसे सेनेटाइज करने के लिए भी ऑपशन दिया जा रहा है। 

यह है देश का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर

कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि भविष्य में स्थिति और भी खराब होने वाली है। ऐसे में भारत अपने को कितना तैयार कर पाया है, आइए कुछ रिपोर्टों के माध्यम से आपको बताते हैं। अगर मौजूदा मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल उपकरण की बात की जाए तो यह मरीजों की अपेक्षा बहुत ही कम है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019  के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में करीब 32 हजार सरकारी, सेना और रेलवे के अस्पताल हैं। इन अस्पतालों में बेड की संख्या करीब चार लाख हैं। देश में निजी अस्पतालों की संख्या 70 हजार के करीब हैं।

इसके अलावा क्लीनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर, कम्युनिटी सेंटर भी चल रहे हैं, जहां पर मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता है। भारत की करीब 130 करोड़ जनसंख्या के सापेक्ष देश में इस समय सरकारी और निजी संस्थानों के बेड को मिला लिया जाए तो यह आंकड़ा 10 लाख के ही करीब पहुंचता है। अब आईसीयू और वेंटिलेटर की स्थिति देखें तो यह भी काफी कम है। इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर के मुताबिक, देश भर में तकरीबन 70 हजार आईसीयू बेड हैं। अगर बात वेंटिलेटर की जाए तो इसकी संख्या महज 40 हजार ही है। इसमें भी महज 10 प्रतिशत ही वेंटिलेटर खाली चल रहे हैं।

देश में पड़ सकती है 50 हजार वेंटिलेटर की आवश्यकता

अन्य देशों में जिस तरीके से कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है, उसको देखते हुए अगले कुछ महीनों में देश में 50 हजार वेंटिलेटर की आश्यकता पड़ सकती है। वेंटिलेटर की आवश्यकता को देखते हुए आईआईटी कानपुर ने अपने कदम बढ़ाए हैं। आईआईटी कानपुर अगले एक महीने के अंदर 1,000 पोर्टेबल वेंटिलेटर तैयार करेगा। संस्थान के प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय ने भारत की स्थिति पर नजर डालते हुए कहा कि एक महीने में भारत को करीब 50,000 वेंटीलेटर की आवश्यकता पड़ सकती है और वे इसके लिए दिन रात एक कर काम करने को तैयार हैं।

वहीं, एम्स दिल्ली भी एक प्राइवेट कंपनी की मदद से प्रोटोटाइप वेंटिलेटर तैयार करवा रहा है। दिल्ली एम्स के निदेशक प्रो. रंदीप गुलेरिया ने बताया कि जरूरत पड़ने पर प्रोटोटाइप वेंटिलेटर का भी प्रयोग किया जा सकता है। फिलहाल स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तकरीबन 1200 और वेंटिलेटर का ऑर्डर किया है।

कोरोना मरीजों के लिए सिर्फ 14 हजार वेंटिलेटर

देश में अभी वेंटिलेटर की काफी कमी है। यह स्थिति केंद्र सरकार ने भी स्पष्ट कर दी है। सरकार ने बताया कि कोरोना से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए देशभर के अस्पतालों में महज अभी 14 वेंटिलेटर ही उपलब्ध है। भविष्य की स्थिति को देखते हुए 40 हजार वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया गया है। अगले दो महीने में सार्वजनिक क्षेत्र की बढ़ी कंपनी बीईएल 30 वेंटिलेटर की सप्लाई करेगी। सरकार ने नोएडा की निजी कंपनी अग्वा हैल्थकेयर को एक सप्ताह के अंदर 10 हजार वेंटिलेटर बनाने का ऑर्डर दिया है। इसके अलावा विभिन्न घरेलू निर्माताओं की मदद भी ली जा रही है ताकि अधिक से अधिक वेंटिलेटर को बनाया जा सकें।

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