बीटेक स्टूडेंट बनाया अनोखा कूलर, पीपीई किट को अंदर से रखेगा ठंडा
कोरोना कवच के रुप में पहनी जाने वाली पीपीई किट यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (Personal protective equipment) बीमार कर रही है, क्योंकि तापमान सामान्य से ज्यादा है और कोविड वार्ड में कमरे को ठंडा करने की सुविधा यानी एयरकंडीशन का प्रयोग प्रतिबंधित है। ऐसे में आठ घंटे तक पीपीई किट को पहनकर अपनी सेवाएं देने वाले चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ डिहाइड्रेशन और चक्कर आने तथा हार्ट बीट बढ़ने जैसी परेशानियों का शिकार हो रहे हैं। इसके बावजूद ये लगातार कोविड मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं। इनकी मुश्किलों को थोड़ा कम करने के लिए एक बीटेक स्टूडेंट ने ऐसा उपकरण बनाया है जो पीपीई किट को अंदर से ठंडा रखेगा। इस छोटे से उपकरण को लगा देने पर पीपीई किट को पहन पांच से छह घंटे तक आराम से काम किया जा सकता है। इस आविष्कार को पेटेंट मिल गया है और शासन ने भी इसमें रुचि दिखाई है।
जबलपुर के रहने वाले मोहम्मद असद मंसूरी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक कर रहे हैं। उन्होंने एक ऐसा उपकरण बनाया है जिसे कमर में बांध कर पीपीई किट से जोड़ने पर यह उसे अंदर से ठंडा रखता है। इसे वेंटिलेटेड पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (वीपीपीई) नाम दिया गया है। खास बात यह है कि इसका वजन भी काफी कम है। इस कारण इसे ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी। एयरोडायनेमिक्स तकनीक से बनाए गए इस 800 ग्राम के वीपीपीई को 3500 रुपये की लागत से बनाया गया है। इसका प्रजेंटेशन प्रधानमंत्री कार्यालय में भी भेजा गया था। वहां इसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के विचारार्थ प्रेषित किया जा चुका है। जिला प्रशासन ने इसकी सराहना करते हुए चिकित्सा विभाग के माध्यम से एक प्रस्ताव इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को भेजा है।
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असद को उम्मीद है कि उनका ये आविष्कार सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा। अगर ऐसा होता है तो बड़े स्तर पर इसका उत्पादन होगा। असद ने इस कूलर को बनाने में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया है उससे रॉकेट का इंजन ठंडा किया जाता है। उन्होंने इसी तकनीत पर आधारित एक छोटी मशीन बनाई है। इस डिवाइस में 6 लेयर वाली फ्लॉपी लगाई गई है जिससे हवा पास हो सकती है लेकिन कोई वायरस इससे अंदर नहीं जा पाएगा। इस फिल्टर को हर 6 से 8 घंटे में बदलना होगा।
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